इंदौर। ग्वालियर महालेखागार (एजी) की टीम आमतौर पर सरकारी दफ्तरों में खातों की जांच के लिए आती है, लेकिन पहली बार वॉटर ऑडिट करने आई है। टीम मुख्य तौर पर जिला प्रशासन से बीते पांच सालों में दी गई बोरिंग मंजूरी की जांच कर रही है कि वह किन परिस्थितियों और किन शर्तों पर दी गई है। टीम ने अपर कलेक्टर निधि निवेदिता से कहा कि यदि किसी को पहले से बोरिंग की मंजूरी मिली है तो फिर उसके पड़ोसी आवेदक को मंजूरी नहीं दें। उसे कहे कि वह बोरिंग कराने वाले संबंधित से पानी लें, क्योंकि उसे बोरिंग की मंजूरी इसी आधार पर मिली है कि वह जल देने से इनकार नहीं करेगा।
5 साल में मंजूर हुए बोरिंग की फील्ड में कर रहे जांच
एजी की टीम सामान्य तौर पर सरकारी दफ्तरों में खातों की जांच के लिए आती है, लेकिन इस बार स्थिति अलग है। प्रदेश में जगह-जगह जलसंकट को देखते हुए इस बार एजी द्वारा पहली बार वॉटर ऑडिट शुरू किया गया है। यह टीम मुख्य तौर पर जिला प्रशासन से बीते पांच सालों में दी गई बोरिंग मंजूरी की जांच कर रही है कि वह किन परिस्थितियों और किन शर्तों पर दी गई है, साथ ही रेंडम आधार पर कुछ बोरिंग मंजूरी की मौके पर जाकर जांच भी होगी। 2013 से 2018 के बीच बोरिंग मंजूरियों में से 58 की जानकारी लेकर टीम मैदान में जांच के लिए भी निकल गई है।
जहां नर्मदा लाइन है वहां बोरिंग बंद
अपर कलेक्टर निवेदिता ने कहा बोरिंग के पहले देखा जाता है कि उस क्षेत्र में नर्मदा या जलापूर्ति की लाइन नगर निगम द्वारा दी गई है या नहीं, लाइन नहीं होने पर ही बोरिंग की मंजूरी मिलती है। यदि चार साल पहले जलापूर्ति लाइन नहीं थी और अब डल गई है तो प्रशासन द्वारा इसकी भी जांच की जाएगी। लाइन डल जाने पर बोरिंग को सील किया जाएगा या फिर उस बोरिंग से अन्य को जलापूर्ति कराई जाएगी।
पानी देने से इनकार नहीं कर सकेगा पड़ोसी
सोमवार को टीम ने अपर कलेक्टर निवेदिता से चर्चा कर सेंट्रल ग्राउंडवाटर बोर्ड और जल का विनियमन पर्यावरण संरक्षण अधिनियिम 1986 के तहत बोरिंग मामले में सख्ती बरतने के लिए भी कहा है। टीम ने कहा कि सरकारी - विभागों, नगर निगम, स्कूल, बड़े रहवासी संघ जहां पानी की समस्या आती है वहां बोरिंग की मंजूरी जारी करें लेकिन निजी अस्पताल को मंजूरी नहीं दें, क्योंकि वह मरीज से राशि लेते हैं।
किसी मोहल्ले, गली में किसी को पहले से बोरिंग की मंजूरी मिली है तो फिर पास में रहने वाले अन्य आवेदक को बोरिंग की मंजूरी नहीं दी जाए, बल्कि उसे कहें कि वह बोरिंग कराने वाले संबंधित व्यक्ति से ही पानी ले, क्योंकि पड़ोसी को बोरिंग की मंजूरी इसी आधार पर मिली है कि वह जरूरत पड़ने पर आपको कभी भी जल देने से इनकार नहीं कर सकेगा।
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