भोपाल। मप्र शासन द्वारा कक्षा 12वी के ऐसे विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की योजना थी जो विभिन्न वर्गों के उत्कृष्ट विद्यार्थियों को दिया जाता था। इस योजना में सामान्य/ पिछड़ा वर्ग के विद्यार्थियों के लिए जहां न्यूनतम 85 प्रतिशत अंक की सीमा निर्धारित थी वहीं अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों को न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक लाना होते थे। दिनांक 21 मई 2018 को आयोजित छू लें आसमां कार्यक्रम में मान मुख्यमंत्री से पिछड़ा वर्ग के छात्र विक्की शर्मा ने इस जातिगत भेदभाव के संबंध में प्रश्न पूछा था और इसे दूर करने की मांग की थी। इसके बाद प्रदेश के सभी वर्गों के छात्रों में उम्मीद जगी थी कि उनके साथ अब भेदभाव नहीं होगा। संभवत: इसी के दृष्टिगत शासन ने दिनांक 28 मई 2018 को निर्धारित लैपटॉप वितरण कार्यक्रम स्थगित किया था।
शासन ने अब लैपटॉप वितरण की जो नई नीति तय की है उससे एक बार फिर यह स्थापित हो गया है कि शासन की योजनाओं में तुष्टिकरण खत्म नहीं होगा। नए आदेश के अनुसार अब दिनांक 9 जून 2018 को लैपटॉप वितरण कार्यक्रम संपन्न होना है, जिसमें सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए निर्धारित सीमा यथावत 85 प्रतिशत रखी गई है जबकि अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए इसे घटाकर अनुसूचित जाति/ जनजाति वर्ग के समकक्ष 75 प्रतिशत कर दिया गया है।
अब सवाल यह है कि क्या ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि प्रश्न पूछने वाला छात्र ओबीसी था। क्या सामान्य वर्ग के छात्रों को इसलिए वंचित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने शिवराज सिंह की काउंसलिग में सवाल नहीं उठाया बल्कि सीएम का स्वागत किया।
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