भोपाल। मध्यप्रदेश में नीमच-मंदसौर की स्थिति जम्मू-कश्मीर जैसी हो गई है। हर आने जाने वाले पर नजर रखी जा रही है। हर किसान को शक की नजर से देखा जा रहा है। नीमच में 1200 से ज्यादा किसानों को प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के नोटिस जारी किए गए हैं। इनमें से एक 80 साल के बुजुर्ग हैं वहीं एक अन्य किसान 3 साल से बीमार है। वो ना पिछले साल आंदोलन में था ना इस साल शामिल हो सकता है। नीमच जिले के मनासा के ढाकनी गांव निवासी 80 वर्षीय एक बुजुर्ग किसान को नोटिस थमा दिया। कहा गया है कि आपसे कानून और व्यवस्था की स्थिति को खतरा है।
हार्दिक पटेल का अनुमति नहीं दीं
हाल ही में किसान क्रांति सेना के प्रमुख हार्दिक पटेल को भी पुलिस प्रशासन ने किसान आंदोलन की अवधि के दौरान रैली करने की अनुमति देने से मना कर दिया था। प्रशासन का कहना था कि पटेल के आने से कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। किसान संगठनों की घोषणा को गंभीरता से लेते हुए सरकार ने पुलिस प्रशासन को पूर्व में ही अलर्ट रहने का आदेश जारी कर दिया था।
3 साल से बीमार किसान को नोटिस थमाया
सरकार ने आदेश जारी किए थे कि आंदोलन में गड़बड़ी की स्थिति में सख्त रवैया अपनाया जाए। किसानों को उकसाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाए। वहीं नोटिस मिलने के बाद किसान गणेशराम पाटीदार का कहना है कि मेरा कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और मेरा आंदोलन से कोई लेना-देना भी नहीं है। उन्होंने बताया कि बीते तीन साल से मेरी तबीयत खराब है और मुझे पुलिस ने मुझे नोटिस थमा दिया है।
बुजुर्ग किसान को नोटिस देने पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने शिवराज सिंह और पुलिस के खिलाफ नारे बाजी की. भाकियू कार्यकर्ताओं ने मनासा तहसीलदार कार्यालय पहुंच कर तहसीलदार को पूरे मामले से अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपा. वहीं तहसीलदार सुमन ने उच्च अधिकारी से मामले को निस्तारित कराने की बात कही है.
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