
आरबीआई ने हाल ही में अवैध ELECTRONIC TRANJECTION के मामलों को लेकर अधिसूचना (NOTIFICATION) जारी की है। इसमें उसने विशेष दिशा निर्देश दिए हैं। इसमें कहा गया है कि बैंक को डिजिटल लेन देन को सुरक्षित बनाने के लिए अपने तंत्र को मजबूत करना होगा। पहले जहां ग्राहकों को यह साबित करना पड़ता था कि उसने किसी के साथ अपनी बैंकिंग डिटेल साझा नहीं की है, लेकिन अब बैंकों को साबित करना होता है कि ग्राहक की तरफ से गलती हुई है। पहले बैंक की तरफ से धन वापसी के लिए काफी समय लगता था, लेकिन नई अधिसूचना ग्राहक के हक में काम करती है।
इन मामलों में बैंक पूरे नुकसान के लिए भुगतान करेंगे:
अगर कभी बैंक की कमी या लापरवाही की वजह से आपके साथ धोखाधड़ी होती है, तो बैंकों को आपको पूरे नुकसान की भरपाई करनी होगी। ऐसे मामलों में ये जरूरी नहीं है कि ग्राहक ने बैंक को सूचना दी थी या नहीं, बैंक को हर हालत में भरपाई करनी होगी।
डिजिटल लेन देन के दौरान जिन-जिन के भी प्लैटफॉर्म से डाटा गुजरता है, तो उसे एन्क्रिप्ट किया जाता है। आरबीआई साफ कहता है कि इस दौरान डाटा शेयर नहीं किया जाना चाहिए। इस दौरान हुई कुछ गड़बड़ी की वजह से अगर आपके साथ धोखाधड़ी होती है, तो आप इसके लिए जिम्मेदार नहीं रहेंगे।
आरबीआई के मुताबिक अगर धोखाधड़ी के किसी मामले में बैंक और ग्राहक की तरफ से गलती न होकर किसी थर्ड पार्टी के सिस्टम की वजह से गलती हुई है। ऐसे मामले में अगर आप तीन कार्य दिवस के भीतर बैंक को इसकी जानकारी दे देंगे, तो बैंक को आपके नुकसान की भरपाई करनी होगी।
यदि ग्राहक जान बूझकर या अनजाने में किसी के साथ एटीएम पिन, कार्ड नंबर जैसी गोपनीय जानकारी साझा करता है, तो उसे लेनदेन के बारे में सूचित करने तक उसे पूरा नुकसान उठाना होगा।
यदि कोई धोखाधड़ी के लिए न तो बैंक और न ही ग्राहक जिम्मेदार है, लेकिन धोखाधड़ी प्रणाली में गलती के कारण हुई है। ऐसे मामलों में अगर ग्राहक बैंक को चार या सात दिनों के भीतर सूचित करता है, तो ग्राहक की देयता 10,000 रुपये तक सीमित होगी। इसमें जो भी कम होगा। यह शर्त बचत बैंक खातों और उन क्रेडिट कार्ड के लिए लागू है, जिनकी लिमिट 5 लाख रुपये तक होती है। चालू खाते के मामले में यह सालाना औसत अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये तक की है।
यदि कोई व्यक्ति तीन दिनों के भीतर सूचित करता है, तो पूरी राशि वापस दी जाती है। चालू खाता, ओवरड्राफ्ट खाते और क्रेडिट कार्ड, जिनकी अधिकतम सीमा 5 लाख से ज्यादा है, उनके लिए अधिकमत सीमा 25,000 रुपये है। वहीं, बेसिक सेविंग्स अकाउंट, नो-फ्रिल्स खातों के लिए यह सीमा 5,000 रुपये है।