
वो गुरुवार को बहराइच के नानपारा स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से वार्ता कर रही थीं। उन्होंने नेताओं की इस कवायद को राजनीति चमकाने वाला करार देते हुए कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कभी किसी से भेदभाव नहीं किया। देशवासियों को जातिवाद के चश्में से नहीं देखा लेकिन अब अनुसूचित जाति के लोगों को अपमानित करने का दौर चल रहा है।
उन्होंने भाजपा के किसी नेता का नाम लिए बिना कहा कि अनुसूचित जाति के युवाओं को नौकरी नहीं मिल पा रही। सरकार को इस मसले पर सोचना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं सांसद हूं लेकिन मुझे अनुसूचित जाति का सांसद कहा जाता है। भारत के राष्ट्रपति को देश का राष्ट्रपति नहीं बल्कि अनुसूचित जाति का राष्ट्रपति कह कर मजाक उड़ाया जाता है। नेता अनुसूचित जाति के लोगों के घर में खाना खाते हैं और फिर टीवी और अखबार में प्रचार शुरू हो जाता है। ये दलितों का अपमान है।