राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार खुश है, उसने मीडिया में कहना शुरू कर दिया है भारत के हर गाँव में उसने लक्ष्य से पहले बिजली पहुंचा दी है। अगर ऐसा हो गया है तो यह काम आसान नहीं था। बल्कि यह काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि विद्युतीकरण के आखिरी दौर में उन गांवों तक बिजली पहुंचानी थी जो दूरदराज के इलाकों में थे और ऐसे पहाड़ी इलाकों में थे जहां लोगों और सामग्री को पहुंचाना काफी मुश्किल काम था। इस उपलब्धि के लिए सरकार को बधाई दी जा सकती है, परंतु फिर भी यहाँ पूर्ण विद्युतीकरण की उपलब्धि का वह तात्पर्य नहीं है जो होना चाहिए। विद्युतीकरण की परिभाषा बेहद कमजोर है। इसके लिए गांव के आसपास बिजली का मूलभूत ढांचा उपलब्ध होना ही पर्याप्त है।
उदहारण के लिए पंचायत कार्यालय में बिजली की व्यवस्था होना। इसके अलावा गांव के कम से कम १० प्रतिशत परिवारों तक बिजली की पहुंच हो। इसमें सब तक पहुंच जैसी कोई बात नहीं है। न ही बिजली की उपलब्धता या निरंतर उपलब्धता से इसका कोई लेनादेना है। एक गांव को तब भी बिजली वाला माना जाएगा जब उसके आसपास से बिजली की लाइन गुजरती हो, पंचायत कार्यालय माइक्रो ग्रिड से संबद्ध हो और गांव के १० प्रतिशत घरों में चंद घंटों के लिए ही बिजली आती हो। अभी दूरदराज स्थित हर घर को ग्रिड से जोडऩे का काम अभी शेष है।
विभिन्न अनुमानों पर यकीन करें तो देश के २० से २५ प्रतिशत घरों में अभी भी बिजली नहीं है। इसमें जो क्षेत्रवार अंतर है वह भी ध्यान देने लायक है। जैसे आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, केरल, पश्चिम बंगाल, पंजाब और तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में जिन घरों में अभी बिजली पहुंचनी है उनकी तादाद नगण्य है। जबकि बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और असम जैसे राज्यों में तकरीबन आधे घरों को अभी बिजली ग्रिड से जोड़ा जाना बाकी है। अभी कुछ महीने पहले तक उत्तर प्रदेश और बिहार में ही करीब २.१ करोड़ परिवारों तक बिजली नहीं पहुंच सकी थी।इस सरकारी घोषणा को ग्रामीण विद्युतीकरण के लक्ष्य के साथ समय की कसौटी पर भी कसना होगा और एनी स्रोतों से इसकी पुष्टि करनी होगी।
यह सब इसलिए भी जरूरी है कि इससे पहले कुछ ऐसे अवसर आ चुके हैं जब अधिकारियों ने यह घोषणा कर दी कि किसी खास गांव तक बिजली पहुंच गई है लेकिन बाद में इस खबर के गलत निकलने पर या उस पर सवाल उठने पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। तब भी और शायद अब भी दूरदराज इलाकों तक बिजली पहुंचाने की समस्या का पूरा समाधान नहीं हो सका है। किसी गांव तक बिजली पहुंचाने का यह अर्थ नहीं है कि अंतिम घर तक बिजली पहुंच गई है।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।