राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश सरकार दो राष्ट्रीय पुरुस्कार की घोषणा कर उन्हें देना भूल गई। वहीँ 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह को लेकर विवाद हुआ। यह सब कितना कष्टदायक है। आखिर यह सब क्यों हो रहा है ? अपने राष्ट्र के श्रेष्ठ नागरिकों का सम्मान प्रत्येक राष्ट्र करता है भारत में राज्य भी ऐसा करते हैं। मध्यप्रदेश में जैसा हुआ वैसा शायद ही कोई करता हो। बॉक्सिंग प्लेयर एमसी मैरीकॉम और पर्यावरणविद् सुनीता नारायण को प्रदेश ने राष्ट्रीय स्तर का लक्ष्मीबाई सम्मान देने की घोषणा की थी, लेकिन करीब ढाई साल बाद भी दोनों शख्सियतों ने न तो पुरस्कार ग्रहण किया और न ही दोनों तक यह पुरस्कार पहुंचा। चौंकाने वाली बात यह है कि मैरीकॉम को तो इस अवॉर्ड की जानकारी ही नहीं है। वहीं सुनीता नारायण को सिर्फ एक बार अवॉर्ड की सूचना तो दी गई, लेकिन उसके बाद से अब तक किसी ने भी संपर्क नहीं किया है। इधर, संचालनालय के अफसरों का कहना है कि हम जल्द ही एक समारोह आयोजित कर उन्हें ये अवॉर्ड देंगे। बता दें कि मप्र स्वराज संस्थान संचालनालय ने 2015-16 और 2016-17 में क्रमश: मैरीकॉम और सुनीता नारायण को यह सम्मान देने की घोषणा की थी। ये सम्मान आज तक झमेले में फंसे हुए हैं।
ये विवाद कला की दृष्टि से बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकारों के रवैये पर सवाल खड़े करते हैं। फिल्म समारोह में विभिन्न श्रेणियों में कुल 131 विजेताओं को सम्मानित किया जाना था। लेकिन समारोह से एक दिन पहले विजेताओं को सूचित किया गया कि सिर्फ 11 को छोड़कर बाकी लोगों को यह पुरस्कार सूचना प्रसारण मंत्री के हाथों दिया जाएगा। विजेताओं ने इससे नाराज होकर समारोह का बहिष्कार करने का फैसला किया। 53 विजेता अपना पुरस्कार लेने नहीं पहुंचे। अब तक यह पुरस्कार राष्ट्रपति ही देते रहे हैं। राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किए जाने का मतलब है, किसी व्यक्ति की सर्वोच्च उपलब्धि के लिए भारतीय राष्ट्र द्वारा उसका सम्मान।
मध्यप्रदेश सरकार के पुरुस्कारों के बारे में क्या कहें इसमें बीच में कोई एजेंसी डाल दी गई है।
पर्यावरणविद् सुनीता नारायण के मुताबिक, "2016 में घोषित हुए अवॉर्ड के संबंध में मुझे जानकारी दी गई थी, लेकिन मैं अन्य कार्यक्रमों की व्यस्तताओं के कारण समारोह में उपस्थित नहीं हो सकी। इसके बाद मुझसे इस संबंध में दोबारा कभी कोई बातचीत नहीं हुई।" मैरीकॉम के पति ऑनलर ने बताया, "मुझे और मैरीकॉम को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझे तो याद भी नहीं है कि इस संबंध में मेरी किसी से ऑफिशियल बातचीत हुई हो। हां, यदि किसी एजेंसी से बात हुई हो तो मुझे पता नहीं। इस रवैये से बेहतर है सम्मान न देना।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।