JABALPUR HIGH COURT NEWS | सीहोर जिले के स्वास्थ्य विभाग में वर्ष 2008 में श्री घनश्याम सिंह एवं प्रताप सिंह कीर सहित अन्य कर्मचारियों के प्रमोशन विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक दिनाँक 10.01.2008 की अनुशंसा के आधार पर विभिन्न पदों पर किये गए थे। उक्त क्रम में श्री घनश्याम सिंह की पद्दोनती ड्रेसर वर्ग-2 से एमपीडब्लू ( बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता) एवं श्री कीर का प्रमोशन, कहार के पद से एमपीडब्ल्यू के पद पर वर्ष 2008 में किया गया था।
कथित रूप से नियम विरुद्ध पद्दोनती का हवाला देते हुए, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य सेवाएं, भोपाल संभाग द्वारा लगभग 20 से 25 कर्मचारियों की पद्दोनती, एक तरफा, दिनांक 09.04.2018 को निरस्त कर दी गई थी। आदेश दिनांक 09.04.2018 के विरुद्ध श्री घनश्याम सिंह एवँ श्री कीर के द्वारा, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य के विरुद्ध, माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर के समक्ष रिट याचिका संस्थित की गई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी के प्रारंभिक तर्कों, जैसे कि, कर्मचारियों के विरुद्ध, 10 वर्ष पूर्व हुए पद्दोनती को लोकायुक्त के दबाब में, उन परिस्थितियों में किया जाना, जबकि, याचिकाकर्ता के विरुद्ध किसी प्रकार का आपराधिक केस या जाँच लंबित नही है ना ही, लोकायुक्त द्वारा किसी प्रकार का कोई केस याचिकाकर्ता के विरुद्ध दर्ज किया गया है। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध, जारी आदेश दिनांक 09/04/18 प्रथम दृष्टया, विधि विरुद्ध होने के कारण स्टे किये जाने योग्य है। उपरोक्त तर्कों से सहमत होकर, माननीय हाई कोर्ट, जबलपुर , ने प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य एवं अन्य को नोटिस जारी करते हुए आदेश दिनांक 09/04/18 (संचालक द्वारा जारी) के विरुद्ध स्टे आदेश जारी किए हैं।