
इस मामले में बच्चे की मां ईसाई और पिता हिंदू हैं। मां-बाप दोनों अपने-अपने धर्म के अनुसार अपने बेटे का नाम रखना चाहते थे। बपतिस्मा की रस्म के समय मां ने बच्चे को अपनी पसंद के नाम से पुकारा और जन्म के 28वें दिन हुए समारोह में पिता ने उसे अपनी पसंद का नाम दिया। इसे लेकर दोनों में विवाद हो गया। यह इतना बढ़ गया कि नौबत तलाक तक पहुंच गई और मामला हाईकोर्ट की चौखट पर।
मां-बाप ने दायर की थीं अलग-अलग याचिकाएं
बेटे के नाम पर सहमति ने बनने पर बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र की मांग को लेकर अलग-अलग याचिकाएं दायर की थीं।
मां ने अदालत को बताया कि बपतिस्मा के समय बच्चे का नाम जॉन मनी सचिन रखा गया था।
पिता ने दावा किया कि बेटे के जन्म के 28वें दिन हुए समारोह में उसे अभिनव सचिन नाम दिया गया।
जस्टिस एके जयाशंकरन नाम्बियार ने बच्चे को दिया नाम
हाईकोर्ट ने कहा कि बच्चे को जल्द से जल्द नाम दिया जाना बहुत जरूरी है, क्योंकि कुछ ही दिन में उसका स्कूल में दाखिला होना है। दाखिला प्रक्रिया शुरू होने से पहले बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र बनना आवश्यक है। जस्टिस एके जयाशंकरन नाम्बियार ने अपने फैसले में कहा कि उन्होंने बच्चे के मां-बाप के बीच मतभेदों पर गौर किया है। उन्होंने कहा, "दोनों पक्षों की बात रखते हुए कोर्ट ऐसे नतीजे पर पहुंचना चाहती है, जिसमें मां-बाप की सहमति हो। इसी आधार पर बच्चे को जॉन सचिन नाम दिया जा रहा है। जॉन मां, जबकि सचिन पति के पक्ष को दर्शाएगा। इस तरह दोनों पक्षों की बात रह जाएगी।"