भोपाल। शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट मीटिंग में उम्मीद थी कि संविदा कर्मचारियों को उन विभागों में जहां वो काम कर रहे हैं, नियमित कर्मचारी के तौर पर मर्ज कर दिया जाएगा। कहा गया था कि 29 मई को कैबिनेट में इसकी मंजूरी दे दी जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ। कैबिनेट में संविदा कर्मचारियों का मुद्दा आया। कुछ फैसले भी हुए परंतु नियमितीकरण नहीं हुआ। नाराज संविदा कर्मचारियों ने एक बार फिर विरोध के स्वर उग्र कर दिए हैं। उन्होंने खुले विरोध का ऐलान कर दिया है। कैबिनेट के फैसले को नामंजूर कर दिया है।
शिवराज सिंह कैबिनेट में फैसला किया कि किसी भी संविदा कर्मचारी को हटाया नहीं जाएगा। इसके अलावा नियमित भर्ती प्रक्रिया में 20 प्रतिशत का लाभ मिलेगा। इन कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधाएं भी मिलेंगी। समय समय पर वेतनवृद्धि का लाभ भी मिलेगा। गंभीर शिकायत होने पर शासकीय कर्मचारी की तरह जांच होगी। नियमित पदों पर जो भर्ती निकलेगी उसमें 20 प्रतिशत बोनस अंक संविदा कर्मचारियों को दिए जाएंगे। हर साल वेतन वृद्धि होगी अवकाश की पात्रता भी होगी। जिन कर्मचारियों की संविदा सेवा 5 साल पूरी हो चुकी है। यदि जिस विभाग में अभी कार्यरत हैं और किसी दूसरे विभाग में पद निकलते हैं तो उसमें भी आवेदन कर सकेंगे। ईपीएफ की कटौती भी होगी।
सरकार ने इस तरह से संविदा कर्मचारियों को नियमित कर्मचारी की तरह सभी लाभ देकर संतुष्ट करने की कोशिश की है परंतु संविदा कर्मचारी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं। आग इसलिए भी भड़क गई क्योंकि इसी मीटिंग में सरकार ने संविदा कर्मचारी के समकक्ष काम कर रहे अध्यापकों को नियमित एवं शिक्षा विभाग में संविलियन कर दिया। संविदा कर्मचारियों का कहना है कि उन्हे झुनझुना पकड़ाया गया है। वो कैबिनेट के फैसले की प्रति को जलाकर शिवराज सरकार के खिलाफ विरोध जताएंगे।
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