
वरिष्ठता को लेकर शिक्षक और अध्यापकों के आमने-सामने आने पर सरकार अध्यापकों को मनाने में जुटी है। चार अध्यापक संगठनों के पदाधिकारियों की दो दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन मामला नहीं सुलझा। इसलिए अब तीसरी बैठक बुलाई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि इस बीच विभाग नए कैडर पर काम पूरा करेगा। इसे मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा और यदि उन्हें पसंद आया तो लागू होगा।
अध्यापकों ने सुझाया फार्मूला शिक्षकों ने ठुकराया
इस विवाद को लेकर अध्यापकों का अपना तर्क है। वे कहते हैं कि शिक्षक संवर्ग में शामिल होने के बाद वरिष्ठता की दिक्कत होगी, तो वेतनमान के हिसाब से वरिष्ठता तय कर लें। जिसका ज्यादा वेतन वह वरिष्ठ, लेकिन शिक्षक इस पर तैयार नहीं हैं। अब सरकार को मुख्यमंत्री की घोषणा पूरी करने के लिए दोनों के बीच समन्वय बनाने में दिक्कत आ रही है। हालांकि विभाग के अधिकारी इस संबंध में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं।
नए कैडर में क्या प्रस्ताव तैयार हुआ
अध्यापकों की मांग शिक्षकों के पुराने कैडर सहायक शिक्षक, उच्चश्रेणी शिक्षक और व्याख्याता संवर्ग को पुनर्जीवित करने की थी। सूत्रों के मुताबिक नए कैडर में सहायक अध्यापक को प्राइमरी शिक्षक, अध्यापक को माध्यमिक शिक्षक और वरिष्ठ अध्यापक को उच्चतर माध्यमिक शिक्षक बनाने का प्रस्ताव है। अध्यापक कहते हैं कि ऐसा ही करना था, तो सहायक अध्यापक, अध्यापक और वरिष्ठ अध्यापक रखने में क्या दिक्कत है।
अध्यापक को शिक्षक बनाने में क्या समस्या आ रही है
अध्यापकों को शिक्षक बनाने में सबसे बड़ी दिक्कत वरिष्ठता की है। दरअसल, अध्यापकों की नियुक्ति निकाय स्तर पर हुई है। हर निकाय की वरिष्ठता सूची अलग है। इसे एकजाई करने में दिक्कत होना है। वहीं दूसरी बड़ी दिक्कत नियमित शिक्षकों के मुकाबले वरिष्ठता देने की है।शिक्षकों का कहना है कि 25 साल में अध्यापक बराबरी पर आकर खड़े हो गए हैं। यदि उन्हें शिक्षक संवर्ग में शामिल किया जाता है, तो सहायक शिक्षक वरिष्ठ होगा या सहायक अध्यापक। इसे लेकर फैसला पहले हो जाना चाहिए। शिक्षकों ने मुख्यमंत्री के सामने भी यह मामला रख दिया है।