
2010 में जमीन सौंपी 2018 तक प्लांट ही नहीं लगा
आलोक अग्रवाल ने कहा कि छिंदवाड़ा जिले में किसानों की 750 एकड़ जमीन बेहद कम दाम पर खरीद ली गई। इसे अडानी पॉवर के लिए आवंटित किया गया था। साल 2010 में जमीन अधिग्रहित कर ली गई लेकिन इस जमीन पर 2018 तक पॉवर प्लांट नहीं लगाया गया है। इस मामले में शिवराज सिंह चौहान, उनकी सरकार और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ सब ही मौन हैं।
सरकारी योजना के नाम पर अधिग्रहित की जमीन अडानी को दे दी
उन्होंने बताया कि छिंदवाडा जिले के चोंसरा व सिरईडोगरी गांव की लगभग 300 हेक्टेयर जमीन वर्ष 1986-87 में गरीब किसानों से औसतन 10 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर पर बहुत ही कम दाम पर अधिग्रहीत की गई थी, जिससे सैकड़ों किसान बर्बाद हो गये। इस जमीन पर सरकार ने परियोजना के लिये ढांचा खड़ा किया परन्तु बाद में यह जमीन मध्य प्रदेश सरकार की ओर से दिनांक 4 फरवरी 2010 को एक पत्र जारी कर अडानी पावर को बिजली घर की स्थापना के लिए हस्तांतरित कर दी गई।
अडानी को 400 करोड़ की संपत्ति 47 करोड़ रुपए में दी
यह जमीन और इस पर स्थापित सभी इन्फ्रास्ट्रक्चर को महज 46.99 करोड़ रुपए में अडानी पावर को दे दी गई। हैरत की बात यह है कि इस जमीन/संपत्ति का मूल्य मूल्यांकन कमेटी ने 195 करोड़ रुपए निर्धारित किया था और उस वक्त इसका बाजार मूल्य 400 करोड़ से ज्यादा था। अब सारी जमीन राजस्व रिकॉर्ड में अडानी पावर के नाम दर्ज हो गई।
कमलनाथ का हाथ शिवराज के साथ
इस मामले में शिवराज सरकार की भूमिका तो संदिग्ध है ही, वर्तमान सांसद और लंबे समय से छिंदवाडा का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस के नवनियुक्त अध्यक्ष कमलनाथ की भूमिका भी संदिग्ध है। बीते 8 सालों से छिंदवाडा के सांसद कमलनाथ ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, अडानी पावर से जमीन को वापस लेने के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। कमलनाथ ने खुद 2014 के चुनाव के अपने शपथ पत्र में दर्शाया है कि उनके पास अडानी पॉवर के 8500 शेयर हैं।