उज्जैन। मध्य प्रदेश शिक्षक संघ का तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग लोकमान्य तिलक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधव नगर उज्जैन में संपन्न हुआ। तीन दिवसीय अभ्यास वर्ग में विभिन्न सत्रों में अभ्यास वर्ग का उद्देश्य, संगठनात्मक संरचना, कार्यकर्ता निर्माण, दायित्वबोध एवं अनुशासन, शिक्षक संघ की नियमावली, वर्तमान मीडिया प्रचार प्रसार माध्यमों की आवश्यकता एवं कार्यकर्ता की भूमिका शाश्वत जीवन मूल्य, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ से संबंधता, जिज्ञासा एवं समाधान पर अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री श्री महेंद्र कपूर महामंत्री श्री शिवानंद सिन्दनकैरा श्री किशनलाल नाकड़ा श्री संजय कुमार राउत श्री विजय सिंह प्रांतीय संगठन मंत्री श्री लक्ष्मीनारायण अग्रवाल श्री चंद्रपाल सिंह सैगर श्री ब्रजमोहन आचार्य श्री देवकरण व्यास श्री हिरालाल जी कीरोले प्रांताध्यक्ष श्री लखीराम इंगले महामंत्री श्री क्षत्रवीरसिंह राठौर द्वारा मार्गदर्शन दिया गया।
कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों का संचालन प्रांतीय पदाधिकारी श्री गौतम मणी अग्निहोत्री श्री सोहन लाल परमार श्री रामबरन सिंह सिकरवार श्री सनत कुमार पांडेय श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत श्री अखिलेश मेहता श्रीमती कुसुम शर्मा श्रीमती ममता राठौर द्वारा किया गया। अभ्यास वर्ग का आयोजन जिला इकाई उज्जैन द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में प्रांत से लगभग 200 अपेक्षित पदाधिकारियों ने भाग लिया और अंत में आभार कार्यक्रम के संयोजक श्री बाबूलाल जी बेरागी ने माना। प्रांतीय पदाधिकारी सोहनलाल परमार,जिला सचिव नरसिंहपुर सत्यप्रकाश त्यागी ,पवन परिहार,नरेश सिंह सिकरवार, भगवत जोशी,ओम पाटोदिया इत्यादि ने सक्रिय रहकर शिविर की सफलता में योगदान दिया।
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर का उद्बोधन
अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के संगठन मंत्री महेंद्र कपूर ने कहा 1970 से शिक्षक संघ ने एक विचार यात्रा प्रारंभ की थी। उतार-चढ़ाव के बावजूद इन वर्षों में हम शिक्षा क्षेत्र में प्रश्न नहीं बल्कि समाधान लेकर आए ।शिक्षकों की भूमिका को संघ ने राष्ट्रीय विचारधारा से जोड़ा है। हमारी सांस्कृतिक विरासत को ईस्ट इंडिया कंपनी के 350 साल के शासन में हमने विस्मृत कर दिया। हमारी संस्कृति में मौसम के अनुकूल खानपान होता है। यहां तक कि हमारे आहार में डाले जाने वाले मसाले भी औषधि युक्त हैं। कस्तूरी रंजन कमेटी ने शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों के हाथों में सौंपने की बात कही थी। जैसे इसरो सीधे प्रधानमंत्री के नियंत्रण में काम करके सफलतापूर्वक उच्च परिणाम दे रहा है। उसी तरह हमें शिक्षा की आधारभूत संरचना को बदलना होगा।