भोपाल। किसान कुछ नहीं समझता। वो सिर्फ इतना समझता है कि मुख्यमंत्री ही प्रदेश का मालिक होता है लेकिन प्रदेश के मालिक की ताकत अब कम पड़ती जा रही है। सीएम शिवराज सिंह ने बड़ी ही संवेदनशीलता के साथ अधिकारियों को आदेशित किया था कि किसानों को भावांतर भुगतान योजना का पैसा 3 दिन के भीतर दे दिया जाए परंतु सहकारी बैंकों में नगदी ही नहीं है। सहकारी बैंक ने किसानों को पेमेंट करने के लिए 132 करोड़ रुपए मांगे थे परंतु उन्हे मात्र 12 करोड़ मिले हैं। सीएम शिवराज सिंह किसानों के लिए नगदी का प्रबंध नहीं कर पा रहे हैं। हजारों किसानों का पेमेंट अटका हुआ है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अभी तक पचास लाख मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं 1 हजार 650 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदा गया है। इस उपज का भुगतान तीन दिन में किसानों के खातों में जमा कराने के निर्देश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिए हैं। उन्होंने पिछले दिनों कमिश्नर और कलेक्टरों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि शादी-विवाह का मौका है।किसानों को पैसे की दरकार होगी, इसलिए भुगतान में किसी प्रकार की समस्या नहीं आनी चाहिए। नकदी की कमी है पर इसे समन्वय करके दूर किया जाए। जरूरत पड़े तो वित्त विभाग के अधिकारियों के जरिए भारतीय रिजर्व बैंक तक अपनी आवश्यकता पहुंचाएं। इसके बाद जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों ने पिछले सप्ताह करीब 132 करोड़ रुपए की नकदी की मांग रखी।
अब नौकरशाही में उलझ गई भावांतर
इसके विरुद्ध बैंकों को सिर्फ 12 करोड़ रुपए ही मिले। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव केसी गुप्ता ने बताया कि नकदी की कमी सभी जगह है। इसे दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। पिछले सप्ताह मांग की तुलना में कम राशि मिली। किसानों को भुगतान में कोई समस्या न हो, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।