वैभव श्रीधर/ भोपाल। चुनाव से पहले प्रदेश सरकार पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के युवाओं को साधने के लिए बड़ा कदम उठाएगी। कॉलेज के पढ़ने वाले इस वर्ग के छात्रों को रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए अनुसूचित जाति के छात्रों की तर्ज पर निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। यह अधिकतम 10 हजार रुपए सालाना तक हो सकता है। अभी सवा चार हजार रुपए निर्वाह भत्ता दिया जाता है। इस पर सरकार के खजाने पर लगभग 383 करोड़ रुपए का वित्तीय भार आएगा। योजना की घोषणा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जल्द करेंगे। भत्ता बढ़ाने का प्रस्ताव पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सरकार को भेज दिया है।
सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के कॉलेजों (पोस्ट मैट्रिक) में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या साढ़े चार लाख से ज्यादा है। इन्हें अभी अनुसूचित जाति के छात्रों की तुलना में निर्वाह भत्ता आधे से भी कम मिलता है। निर्वाह भत्ते के लिए विभागों ने चार श्रेणियां बनाई हैं। इसमें अधिकतम 15 हजार रुपए तक निर्वाह भत्ता दिया जाता है। मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों को दूसरे विषय के छात्रों की तुलना में कम निर्वाह भत्ता मिलता है।
इसे देखते हुए पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने प्रस्ताव तैयार करके सरकार को भेजा है। इसमें कहा गया है कि छात्र चाहे अनुसूचित जाति का हो या अनुसूचित जनजाति या फिर पिछड़ा वर्ग का, रोजमर्रा के खर्चे आमतौर पर एक जैसे ही रहते हैं। इसे देखते हुए निर्वाह भत्ते में एकरूपता होनी चाहिए।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि निर्वाह भत्ता अनुसूचित जाति की तरह करने पर सरकार के ऊपर 383 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। यह राशि राज्य सरकार को ही देनी होगी। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सैद्धांतिक रूप से सहमत भी हैें।
बड़ा फैसला है इसलिए कैबिनेट में रोका
आठ अप्रैल को हुई कैबिनेट में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने छात्रवृत्ति और आय अनुसूचित जाति के विद्यार्थियों के समान करने का प्रस्ताव रखा था। बैठक में मुख्यमंत्री ने बाद में विचार करने की बात कहकर इस पर कोई फैसला नहीं किया। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री इतना बड़ा फैसला यूं ही नहीं करना चाहते हैं वे इसकी घोषणा बड़ा कार्यक्रम करके करेंगे। संभव है कि पिछड़ा वर्ग के महाकुंभ में इसकी घोषणा हो जाएगी। सरकार प्रदेश में छह ओबीसी महाकुंभ कर रही है।