भोपाल। बीते रोज खबर आई थी कि केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने दलित के घर भोजन करने से इंकार कर दिया है। दरअसल, यह जानकारी अधूरी थी। इसे जानबूझकर अधूरा ही लीक किया गया था। मामला कुछ और था। इस प्रसंग में उमा भारती ने भाजपा के दलित प्रेम की हवा निकालकर रख दी। उन्होंने संदेश दिया कि राजनीतिक दलों का जो दलित प्रेम दिखाई दे रहा है, दरअसल वो एक चुनावी स्टंट है। दलितों को सम्मान देने की कोशिश नहीं है।
क्या हुआ घटनाक्रम
मंगलवार को केन्द्रीय मंत्री उमा भारती छतरपुर जिले के नौगांव के ददरी गांव संत रविदास के मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने पहुंची थीं, वहां सामाजिक समरसता भोज का आयोजन किया गया था लेकिन उन्होंने भोजन नहीं किया। उमा भारती ने कहा कि वह दलित के घर खाना खाने के जगह अपने घर पर दलितों को बुलाकर उन्हे भोजन कराएंगीं, और उनके परिवार के लोग दलितों के जूठे बर्तन उठाएंगे।
क्या कहा था उमा भारती ने
उमा भारती ने समारसता भोज में शामिल होने से इंकार करते हुए कहा था कि 'हम भगवान राम नहीं है कि दलितों के साथ भोजन करेंगे तो वो पवित्र हो जाएंगे। जब दलित हमारे घर आकर साथ बैठकर भोजन करेंगे तब हम पवित्र हो पाएंगे। दलितों को जब मैं अपने घर में अपने हाथों से खाना परोसुंगी तब मेरा घर धन्य हो जाएगा।'
आशय क्या है उमा के बयान का
उमा भारती ने इस तरह से भाजपा के समरसता भोज को खारिज कर दिया है। उनका मानना है कि इस तरह से दलितों का सम्मान नहीं होगा। हमारे हृदय में दलितों के लिए समानता का भाव पैदा नहीं होगा और जब तक हमारे हृदय में उनके लिए समानता का भाव ना हो, ये सारे उपक्रम ढोंग के सिवाए कुछ नहीं हैं।