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मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि यह केवल शिक्षकों के साथ अन्याय नहीं था बल्कि बच्चों के भविष्य के साथ किया गया सबसे बड़ा अपराध था। वर्तमान राज्य सरकार ने पहले कर्मी कल्चर को समाप्त किया और शिक्षाकर्मियों को अध्यापक बनाया। इस व्यवस्था में वे कहीं जिले के तो कहीं नगरीय निकायों के कर्मचारी थे। अब केबिनेट में यह फैसला लिया गया है कि अध्यापकों का संविलियन शिक्षा विभाग में कर शिक्षकों का एक कैडर कर दिया जायेगा। अब शिक्षकों का एक ही कैडर है और ये राज्य शासन के कर्मचारी हैं। यह नहीं होने के कारण वे कई सुविधाओं से वंचित थे। अब राज्य सरकार के नियमित कर्मचारी होने से इन्हें सभी सुविधाएं मिलेंगी और साथ ही मान-सम्मान मिलेगा। हमें विश्वास है कि इस फैसले के बाद प्रदेश में पढ़ाई की व्यवस्था और बेहतर होगी तथा गुणवत्ता बढ़ेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज एक और निर्णय लिया गया है कि अब कोई भी संविदा कर्मचारी नहीं निकाला जायेगा। अब जो भर्ती होगी उसमें निश्चित प्रतिशत तक संविदा कर्मचारियों में से पद भरे जायेंगे। जब तक सब संविदा कर्मचारियों की भर्ती नहीं हो जायेगी, किसी को नहीं निकाला जायेगा। अब उनका नौकरी से निकाले जाने का खतरा समाप्त हो गया है। उन्हें भी दूसरे कर्मचारियों की तरह सुविधाएँ मिलेंगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने किसानों के कल्याण के लिये जो काम किये हैं आज तक इससे पहले कभी नहीं किये गये।
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