भोपाल। मध्यप्रदेश के सटे उत्तरप्रदेश के आगरा शहर में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का बड़ा खुलासा हुआ है। जांच चल रही है यहां करीब 1 लाख से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस के फर्जी पाए जाने की संभावना है। सवाल यह है कि क्या यह कांड केवल आगरा में ही हुआ है या उत्तरप्रदेश के दूसरे शहरों और देश के दूसरे राज्यों में भी। आरटीओ में दलाल प्रथा के चलते किसी भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। सवाल यह है कि क्या सरकारें इस दिशा में बिना शिकायत के जांच कराएंगी या आगरा जैसे किसी खुलासे का इंतजार करेंगी।
आगरा संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) में रोजाना फर्जी लाइसेंस के मामले सामने आ रहे हैं। दलालों ने बड़े पैमाने पर एक ही नंबर पर दो व्यक्तियों के लाइसेंस बनवा दिए। दुर्घटना बीमा का क्लेम हो या फिर नवीनीकरण कराने पहुंचने पर लाइसेंस में किया फर्जीवाड़ा पकड़ में आ रहा है। आरटीओ के लाइसेंस पटल से जुड़े अधिकारियों की मानें तो जिले में एक लाख से ज्यादा लाइसेंस फर्जी निकल सकते हैं। आरटीओ में बड़ी संख्या में ड्राइविंग लाइसेंस दलालों के मार्फत बनाए जाते।
घर बैठे ड्राइविंग लाइसेंस बनवाए तो फर्जी हो सकते हैं
कई दफा लोग घर बैठे भी लाइसेंस बनवाकर मंगवा लेते थे। आरटीओ के बाहर बैठने वाले कई दलालों ने इसमें बड़ा खेल किया। लोगों के फर्जी लाइसेंस बनवा दिए। कई दफा फर्जी लाइसेंस के मामले पकड़ में आए। एक मामले में तो आरटीओ का एक बाबू आज तक जेल में निरुद्ध है। फर्जी लाइसेंस का जिन्न अभी तक आरटीओ का पीछा नहीं छोड़ पा रहा। मैनुअल बनाए गए लाइसेंस में एक लाख से अधिक लाइसेंस फर्जी बताए जाते हैं।
साफ्टवेयर ने पकड़ा तो दोनों रद्द हो जाएंगे
मलपुरा के रामवीर जब मैनुअल लाइसेंस का स्मार्ट कार्ड बनवाने पहुंचे तो उनके लाइसेंस का नंबर हरियाणा की एक महिला नेहा के नाम से दर्ज था। अगर एक स्मार्ट कार्ड एक नंबर से बन गया है और उसी नंबर पर दूसरा लाइसेंस भी पाया जाता है तो दोनों लाइसेंस निरस्त कर दिए जाते हैं। आनलाइन लाइसेंस के साफ्टवेयर सारथी 4.0 में ये व्यवस्था है कि एक ही नंबर होने पर दोनों लाइसेंस स्वत: ही निरस्त हो जाएंगे।
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