नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पीएम नरेंद्र मोदी के सबसे भरोसेमंद साथी अमित शाह पर आरोप लगाया है कि जिस सहकारी बैंक में डायरेक्टर थे, नोटबंदी के दौरान उस बैंक में मात्र 5 दिन में 750 करोड़ रुपए के पुराने नोट जमा किए गए। इस मामले में सवाल तो बहुत सारे हैं परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि अमित शाह या शाह के नजदीकी नेताओं की तरफ से कोई खंडन सामने नहीं आया। सहकारी बैंक ने भी इसका खंडन नहीं किया और ना ही मामले की जांच के आदेश दिए जाने की कोई खबर नजर आई।
सरल शब्दों में समझिए क्या है मामला
सरल शब्दों में बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक यानी 50 दिनों की मियाद दी गई थी। हालांकि इस फैसले के 5 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2016 को सरकार की ओर से यह निर्देश दिया गया कि किसी भी सहकारी बैंक में नोट नहीं बदले जाएंगे। एक आरटीआई के जवाब में यह सामने आया है कि अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) ने इन्हीं पांच दिनों में 745.59 करोड़ मूल्य के प्रतिबंधित नोट जमा किए।
मप्र में सोशल मीडिया पर जारी हुए बयान
मप्र कांग्रेस के कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी लिखते हैं कि अमित शाह के बेटे जय शाह की लूट के बाद अब अमित शाह प्रायोजित कालाधन छिपाओ योजना..?
मप्र कांग्रेस कमेटी ने अपने आधिकारिक हेंडल से बताया: अमित शाह के सहकारी बैंक में नोटबंदी के दौरान देश में सर्वाधिक प्रतिबंधित नोट 745.59 करोड़ जमा हुये। दूसरे नंबर पर गुजरात सरकार के कैबिनेट मंत्री जयेशभाई रडाड़िया के राजकोट सहकारी बैंक में ₹693.19 करोड़ जमा हुये। मोदी जी..? दाल में काला या काली दाल..?
शिवराज सिंह ने कहा: आरोप तथ्यहीन
@ChouhanShivraj से सीएम शिवराज सिंह ने लिखा: कांग्रेस द्वारा भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री @AmitShah जी पर लगाए गए आरोप तथ्यहीन और निंदनीय है। कांग्रेस अपने लगातार खोते जनादेश से बौखलायी हुई है। उन्हें इसका करारा जवाब मिलेगा। मनमोहन सिंह जी से अनुरोध है कि अपने अध्यक्ष को बैंकिंग का पाठ पढ़ाएँ।