“अहम” और “वहम” के कारण बीजेपी की दुर्गति | EDITORIAL

Bhopal Samachar
राकेश दुबे@प्रतिदिन। उप चुनावों में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं कहा जा सकता। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और नगालैंड की ४ लोकसभा सीटों, 10 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव और कर्नाटक की आरआनगर सीट पर हुए चुनाव के नतीजे सामने हैं। अब शिव सेना भी आँखे दिखा रही है। कर्नाटक की सीट को छोड़ दिया जाए, तो कुल 14 सीटों के उपचुनाव में से बीजेपी ने अपने सहयोगी पार्टियों के साथ मिलकर सिर्फ 4 पर जीत हासिल की, जबकि 10 सीट विरोधी पार्टियों के खाते में गईं। उप चुनावों के नतीजों से यदि 2019 के आम चुनाव के नतीजों का पूर्वानुमान लगायें, तो भाजपा को नये सिरे से कुछ करने की जरूरत है। उसके वर्तमान फार्मूले पिट गये हैं।

2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में कुल 27 लोकसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें से बीजेपी को सिर्फ 5 सीटों पर जीत मिली। जबकि, 8 सीटें विरोधी दलों ने छीन ली, इस तरह 2014 के आम चुनाव में 282 सीटें जीतने वाली बीजेपी 2018 तक 273 सीटों पर सिमट गई है।

कल जिन 4 लोकसभा सीटों के नतीजे आये, उनमें से तीन  पर पर भाजपा कायम थी, लेकिन, इनमें से सिर्फ महाराष्ट्र की पालघर सीट ही बीजेपी अपने पास बरकरार रख पाई। इस जीत पर भी सहयोगी शिव सेना नाराज है और अदालत जाने तक की बात कह रही है। इन उपचुनावों में सबकी निगाहें यूपी की कैराना लोकसभा सीट पर थी। सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी समेत विपक्षी एकता के बूते पर लड़े राष्ट्रीय लोकदल ने भाजपा को शिकस्त दी। कांग्रेस समर्थित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी बीजेपी से महाराष्ट्र की भंडारा-गोंदिया सीट छीन ली। 

अब आंकड़ों पर नजर डालें तो लोकसभा उपचुनावों में अपनी तीन में से एक सीट बरकरार रखने वाली बीजेपी के पास संसद के 539 सदस्यों वाले सदन में 273 सीटों का बहुमत रह गया है। लोकसभा में 543 निर्वाचित सदस्य हैं, लेकिन इसकी चार सीटों का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। कर्नाटक के तीन सदस्य त्यागपत्र दे चुके हैं, जबकि कश्मीर की अनंतनाग सीट खाली पड़ी है। अनंतनाग सीट के लिए पिछले साल मई में होने जा रहे उपचुनाव को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया था। इस तरह 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद कुल 27 सीटों पर उपचुनाव हुए। इनमें से 14 सीटें बीजेपी के कब्जे में थीं, इनमे से 5 सीटें ही बीजेपी अपने पास बरकरार रख पाई है। इसी कारण लोकसभा में बीजेपी की कुल सीटों का आकंड़ा 282 से घटकर 273 रह गया है। व्यावहारिक रूप से देखें तो बीजेपी के पास 274 सदस्यों का संख्याबल है, क्योंकि दोनों मनोनीत सदस्य भी इसी पार्टी से संबंधित हैं। उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न उपचुनावों के बाद इसकी सीटों में कमी आई है।

जहाँ तक सरकार की सेहत का सवाल है, इससे सरकार पर बहुत मामूली असर पड़ेगा, क्योंकि बीजेपी की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास करीब 315 सीटें हैं। पार्टी की सेहत जरुर गिरी है और सहयोगियों की वक्र दृष्टि गठ्बन्धन में खटास पैदा कर ही रहा है। सवाल यह है की बीजेपी ऐसे में क्या करें ? कारण खोजें तो अनेक निकलेंगे। इन सबको जोड़ा जाये तो नतीजा इशारा करता है कि बीजेपी अहं और वहम का शिकार होकर इस दशा को प्राप्त हुई है। कोई किसी को कुछ समझ ही नहीं रहा है। कार्यपालिका भी नियन्त्रण विहीन दिखती है। सरकार को “अहम” है की इतने राज्यों में वो है और यह “वहम” की एनडीए उसकी ही दम पर है। इन दोनों कारकों से यथा शीघ्र मुक्ति उसके दिल्ली में तख्त को कायम रख सकेगी।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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