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गौरतलब है कि मप्र सरकार पीएससी के माध्यम से सहायक प्राध्यापक पदों के लिए भर्ती करने जा रही है जिसमें व्यापक विसंगतियों के साथ पारीक्षा ली जा रही है।विज्ञापन होने के बाद 30 से अधिक संसोधन किये गए सारे नियमो को ऐसे तोड़ा मरोड़ा गया जिससे प्रदेश के बाहर के लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाया जा सके। और वर्षो से शासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत अतिथि विद्वानों के साथ वादाखिलाफी की और आज जबकि अधिकांस अतिथि विद्वान 45 से 50 वर्ष की आयु के हो चुके हैं। तब उन्हें बेरोजगार करने का षड्यंत्र रच रही है।
अनशनकारी महिला अतिथि विद्वानों की बात सुनने और उनकी जायज मांगो को पूरा करने की बजाय सरकार उनके ऊपर बलप्रयोग कर रही है, अतिथि विद्वान महासंघ इसकी घोर निंदा करता है ,जब तक सरकार हमारी मांगे नही मानती विरोध जारी रहेगा।
डॉ देवराज सिंह प्रदेशाध्यक्ष अतिथि विद्वान महासंघ
ऐसे बाहरी लोग जो अपने ही राज्य में आयुसीमा के आधार पर चपरासी से लेकर किसी भी पद के लिए आवेदन करने के लायक नही हैं, उन्हें मप्र सरकार सहायक प्राध्यापक बनाने पर आमादा है यह सीधे सीधे प्रदेश के युवाओं के सपनों की हत्या है।
डॉ जेपीएस चौहान अतिथि विद्वान महासंघ
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