नई दिल्ली। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज डाक विभाग के ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) के वेतन भत्तों में संशोधन को मंजूरी दी है। वेतन भत्तों में संशोधन के लिए वर्ष 2018-19 के दौरान 1257.75 करोड़ रुपये (860.95 करोड़ रुपये के गैर-आवर्ती खर्च 396.80 करोड़ रुपये के आवर्ती खर्च) खर्च होने का अनुमान है। वेतन भत्तों में इस संशोधन से 3.07 लाख ग्रामीण डाक सेवक लाभान्वित होंगे। समय से संबंधित नियमित्ता भत्ता (टीआरसीए) ढांचा और स्लैब को युक्ति संगत बनाया गया है। कुल जीडीएस को इन दो श्रेणियों के तहत लाया गया है – ब्रांच पोस्ट मास्टर (बीपीएम) और ब्रांच पोस्टर से इतर जैसे असिस्टेंट ब्रांच पोस्ट मास्टर (एबीपीएम)। मौजूदा 11 टीआरसीए स्लैब को केवल तीन स्लैबों के तहत लाया गया है जिनमें बीपीएम एवं बीपीएम के इतर कर्मियों के लिए एक-एक स्तर होंगे।
समय से संबंधित नियमित्ता भत्ते (टीआरसीए) के रूपरेखा इस प्रकार होगी।
चार घंटे/स्तर 1 के लिए न्यूनतम टीआरसीए: बीपीएम 12,000 रुपये, एबीपीएम/डाक सेवक 10,000 रुपये
पांच घंटे/स्तर 2 के लिए न्यूनतम टीआरसीए: बीपीएम 14,500 रुपये, एबीपीएम/डाक सेवक 12,000 रुपये
महंगाई भत्ते का भुगतान अलग से जारी रहेगा और केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए उसमें समय-समय पर बदलाव होता रहेगा।
नई योजना के तहत 7000 रुपये की सीमा तक टीआरसीए+डीए की गणना के साथ अनुग्रह बोनस जारी रखने का निर्णय लिया गया है।
01.01.2016 से संशोधित वेतनमान के लागू होने की तिथि तक की अवधि के लिए एरियर की गणना 2.57 गुणक के साथ बढ़े हुए बेसिक टीआरसीए के अनुसार की जाएगी। एरियर का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।
वार्षिक बढ़ोतरी 3 फीसदी की दर से होगी और वह हर साल पहली जनवरी अथवा पहली जुलाई को दी जा सकती है जो जीडीएस के लिखित आग्रह पर आधारित होगी।
एक नया जोखिम एवं कठिनाई भत्ता को भी लागू किया गया है। अन्य भत्ते जैसे कार्यालय रख-रखाव भत्ता एकीकृत ड्यूटी भत्ता, नकदी लाने-ले जाने का शुल्क, साइकिल रख-रखाव भत्ता, नाव भत्ता और निर्धारित स्टेशनरी शुल्क में संशोधन किया गया है।
कार्यान्वयन रणनीति एवं लक्ष्य
ग्रामीण डाक सेवकों के वेतन भत्तों में संशोधन किए जाने से ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल एवं सस्ती बुनियादी डाक सुविधाओं को बेहतर करने में मदद मिलेगी। प्रस्तावित वेतन वृद्धि से वे अपनी सामाजिक-आर्थिक स्थिति को सुधारने में समर्थ होंगे।
क्या पड़ेगा प्रभाव:
डाकघरों की ग्रामीण शाखा गांवों एवं दूरदराज के क्षेत्रों में संचार एवं वित्तीय सेवाओं का आधार है। ग्राहकों को भुगतान के लिए पोस्ट मास्टर को काफी रकम का हिसाब रखना पड़ता है और इसलिए उनके काम की जिम्मेदारी पहले से ही निर्धारित है। इस वेतन वृद्धि से उनमें जिम्मेदारी का भाव और बढ़ेगा। कुल मिलाकर ग्रामीण आबादी के बीच वित्तीय समावेशीकरण की प्रक्रिया में भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी), सीडीएस नेटवर्क की अहम भूमिका होने की उम्मीद है।
क्या है पृष्ठभूमि :
भारतीय डाक विभाग में अतिरिक्त विभागीय व्यवस्था की स्थापना 150 वर्ष पहले उन ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी आर्थिक एवं कुशल डाक सेवा मुहैया कराने के लिए की गई थी जहां पूर्णकालिक कर्मचारियों को बहाल करने का कोई औचित्य नहीं था। एक लाख उनतीस हजार तीन सौ छियालिस (1,29,346) अतिरिक्त विभागीय डाक शाखा का संचालन मुख्य तौर पर ग्रामीण डाक सेवक ब्रांच पोस्ट मास्टर के द्वारा किया जा रहा है। साथ ही, ग्रामीण डाक सेवक ब्रांच पोस्ट मास्टर के अलावा शाखा, उप एवं मुख्य डाक घरों में भी काम करते हैं। ग्रामीण डाक सेवकों को बहाल करने की मुख्य विशेषता यह है कि वे तीन से पांच घंटे प्रतिदिन अंशकालिक कार्य करते हैं और इससे प्राप्त आय उनके मुख्य आय का पूरक है जो उनके लिए अपने परिवार का भरण पोषण करने का एक पर्याप्त साधन है। वे 65 वर्ष की आयु तक सेवा में बने रह सकेंगे।
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