
ब्रिटेन सरकार द्वारा इमीग्रेशन पॉलिसी में किए गए बदलावों को रविवार को संसद मे पेश किया जाएगा। सूची में अमेरिका, कनाडा और न्यूजीलैंड जैसे देश पहले से ही शामिल थे। सूची में भारत को शामिल नहीं किए जाने कि वजह से भारतीय छात्रों को अब दस्तावेजों की कड़ी जांच से गुजरना होगा। साथ ही उनके लिए अंग्रेजी और शिक्षा के मानक भी सख्त होंगे।
यूके काउंसिल फॉर इंटरनेशनल स्टूडेंट अफेयर्स के अध्यक्ष और भारतीय मूल के व्यवसायी लॉर्ड करण बिलिमोरिया ने ब्रिटिश सरकार के इस फैसले को भारत का अपमान बताया है। ब्रिटिश सरकार का ये फैसला ऐसे वक्त आया, जब वो भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफडीए) पर बात कर रहा है। अगर ब्रिटेन का ऐसा ही बर्ताव रहा तो एफटीए के बारे में वो सिर्फ सपने ही देख सकता है।
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