
मिश्रा की नियुक्ति के लिए सीएम शिवराज सिंह ने नए नियम बनाए
श्री अग्रवाल ने शिकायत की है कि एस.के. मिश्रा को 30 सितम्बर, 2017 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2 अक्टूबर, 2017 को संविदा पर प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया था। ताबड़तोड़ कैबिनेट की बैठक कर उनके पक्ष में संविदा के सुविधाजनक नियम बनाये गये। साथ ही प्रमुख सचिव स्तर का एक पद एक्स-कैडर घोषित किया गया और वर्तमान मुख्यमंत्री के पद पर रहने तक उनकी नियुक्ति की गई। एस.के. मिश्रा वे ही अधिकारी हैं, जिन्होंने 2008 के विधानसभा चुनाव के दौरान सीहोर कलेक्टर रहते हुए सार्वजनिक रूप से मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के पांव छुए थे। इस कारण चुनाव आयोग ने उन्हें हटा दिया था।
मिश्रा ने तुलात्मक चार्ट में गलत जानकारी दर्ज कराई
मानक अग्रवाल ने पत्र में एसके मिश्रा के नेतृत्व में जनसंपर्क विभाग द्वारा हाल ही में प्रकाशित और माध्यम द्वारा मुद्रित ‘‘दावे नहीं प्रमाण’’ पुस्तिका का उल्लेख किया है। इसमें 2003 की दिग्विजय सरकार और 2018 में शिवराज सरकार के कार्यकाल की योजनाओं और कार्यक्रमों की बिना कोई नाम लिये अपरोक्ष रूप से तुलना की गई है। तुलनात्मक चार्ट में उन 27 योजनाओं और कार्यक्रमों को ग्राफ के माध्यम से दर्शाया गया है जो कांग्रेस सरकार के समय 2003 में अस्तित्व में ही नहीं थीं। इन योजनाओं की प्रगति 2003 में शून्य दर्शायी गई है और 2018 में बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत की गई है।
भाजपा के पक्ष में पद का दुरुपयोग कर रहे हैं मिश्रा
सरकारी खर्च पर मतदाताओं को आगामी विधानसभा चुनाव के पहले इस तरह का भ्रम और झूठ परोसा जा रहा है ताकि लोगों के अवचेतन मन में यह बात बैठ जाये कि कांग्रेस सरकार ने जनता के लिए कुछ नहीं किया। यह कृत्य एस.के. मिश्रा द्वारा चुनावी साल में सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में पद और अधिकारों के खुले दुरूपयोग का प्रत्यक्ष प्रमाण है। लिहाजा उन्हें जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिव और मध्यप्रदेश माध्यम के एम.डी. के पद से पद मुक्त किया जाये।
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