भोपाल। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मप्र की सक्रिय राजनीति के लिए अपने सभी राष्ट्रीय स्तर के प्रभार छोड़ने वाले दिग्विजय सिंह थोड़ी बदली-बदली सी राजनीति कर रहे हैं। उनका फाइनल टारगेट क्या है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा परंतु फिलहाल यह पता चल गया है कि उन्होंने अपने सबसे लोकप्रिय संबोधन 'दिग्गीराजा' पर बैन लगा दिया है। अब वो अपने लिए प्यार और सम्मान में भी 'दिग्गीराजा' सुनना पसंद नहीं करते।
क्या हुआ घटनाक्रम
टीकमगढ़ जिले के ओरछा में जैसे ही वो इस यात्रा को शुरू करने ले लिए होटल से निकले तो एक बुजुर्ग आया और दिग्गी राजा जिंदाबाद का नारा लगाने लगा। बुजुर्ग की आवाज जैसे ही दिग्विजय सिंह के कान में पड़ी वो लॉन में बुजुर्ग के पास आए। उन्होंने उसे नारे न लगाने की नसीहत दी और कहा कि, "यदि तुमने दोबारा नारा लगाया तो मैं तुम्हें यहीं नदी में डुबो दूंगा।" दिग्विजय सिंह के इस व्यवहार से घबराए बुजुर्ग ने कान पकड़ उनके पैर छूकर माफी मांगी।
'दिग्गीराजा' क्यों कहते हैं लोग
दिग्विजय सिह को दशकों से 'दिग्गीराजा' कहा जाता रहा है। दरअसल, दिग्विजय सिंह राधौगढ़ राजघराने से आते हैं। जब दिग्विजय सिंह ने राजनीति में सफलताएं हासिल करना शुरू किया, मप्र की राजनीति में राजघरानों से 2 नेता, अर्जुन सिंह और माधवराव सिंधिया का दबदबा हुआ करता था। यानी कांग्रेस में राजाओं का दबदबा था। राजगढ़ जिले के लोग उन्हे प्यार से 'दिग्गीराजा' कहा करते थे। धीरे धीरे यह पूरे मप्र में प्रचलित हो गया। आज भी लोग दिग्विजय सिंह का पूरा नाम नहीं लेते बल्कि प्यार में और गुस्से में भी 'दिग्गीराजा' ही कहते हैं।
BHOPAL SAMACHAR | HINDI NEWS का
MOBILE APP DOWNLOAD करने के लिए
प्ले स्टोर में सर्च करें bhopalsamachar.com