भोपाल। मध्यप्रदेश में इन दिनों मतदाता सूची में फर्जी नामों को लेकर सियासत गर्म है। कांग्रेस ने दावा किया है कि पूरे प्रदेश में 60 लाख से ज्यादा फर्जी नाम दर्ज किए गए हैं। ऐसी कोई पोलिंग बूथ नहीं है जिसमें फर्जी नाम ना हों। कमलनाथ का आरोप है कि यह साजिश भाजपा द्वारा रची गई है। चुनाव आयोग बचाव में दलील दे रहा है कि यह साफ्टवेयर की गड़बड़ी है। इस बीच एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है। मप्र के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग के भाई, भाभी एवं बहन के नाम की एक से अधिक एंट्रियां मिलीं हैं।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के नरेल विधानसभा क्षेत्र में विवेक सारंग, रुचि सारंग एवं आरती सारंग के एक से अधिक बार दर्ज हुए नाम पकड़े गए हैं। कांग्रेस द्वारा हंगामा किए जाने के बाद चुनाव आयोग ने मल्टीपल एंट्री को डीलिट कर दिया गया है परंतु इससे मामले पर पर्दा नहीं डाला जा सकता। इस मामले ने प्रमाणित कर दिया कि यह कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर की गलती नहीं है बल्कि एक योजनाबद्ध रणनीति है। यदि एक मंत्री के परिवारजनों की मल्टीपल एंट्री मिल रहीं हैं तो इसे सामान्य गड़बड़ी नहीं कहा जा सकता।
तो क्या 2013 का चुनाव सच में ऐसे ही जीता गया
पिछले दिनों कमलनाथ ने दावा किया था कि 2013 का चुनाव शिवराज सिंह सरकार हार चुकी थी लेकिन फर्जी मतदाताओं के दम पर वो चुनाव जीत गए। इसके अलावा दिग्विजय सिंह ने भी इशारा किया था कि मैं इस बार 2003 वाली गलती नहीं होने दूंगा। सवाल यह है कि क्या 2003 में भी फर्जी मतदान हुआ था जिसे दिग्विजय सिंह पकड़ नहीं पाए। जब तक उन्हे पता चला काफी देर हो चुकी थी।
क्या इसलिए नरेला छोड़ना चाहते हैं सारंग
भाजपा के सूत्र कहते हैं कि नरेला विधानसभा में मंत्री विश्वास सारंग का जनाधार तेजी से खिसका है। सारंग खुद नरेला विधानसभा छोड़ना चाहते हैं। सवाल यह है कि क्या यह कम्प्यूटर की गलती है या फिर 2018 का चुनाव जीतने के लिए इस तरह की तैयारियां की जा रहीं हैं।
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