भोपाल। निजी स्कूलों की तरह सरकारी प्रायमरी स्कूलों के छात्र-छात्राएं भी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई कर सकें इसके लिए शासन ने हर ब्लॉक में अंग्रेजी माध्यम के 5 स्कूल खोलने का निर्णय लिया था। शासन ने इसके लिए 2014 में आदेश भी जारी कर दिया। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर कुछ जगहों पर स्कूल खोले भी गए, लेकिन अंग्रेजी के शिक्षक नहीं मिलने के कारण सरकार का बच्चों को इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने का सपना अधर में लटका है। प्रदेश में 2 हजार अंग्रेजी के शिक्षक हैं, ऐसे में 1565 स्कूलों में शिक्षक नहीं होने के कारण अभी तक इस योजना पर अमल नहीं हो पाया। शासन को पहले अंग्रेजी शिक्षकों की व्यवस्था करनी थी, इसके बाद स्कूल खोलने थे। अब आनन-फानन में शासन की ओर से अंग्रेजी के शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके लिए ब्रिटीश काउंसिल की ओर से शिक्षकों को ट्रेनिंग दी जाएगी। प्रदेश के 204 अंग्रेजी के शिक्षकों का चयन मास्टर ट्रेनर के तौर पर किया गया है। ट्रेनिंग के बाद ये मास्टर ट्रेनर महीने में एक बार संकुल केंद्र पर चर्चा करेंगे।
चयन के लिए होगी परीक्षा
अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में शिक्षकों के चयन के लिए लिखित परीक्षा और इंटरव्यू से भी गुजरना होगा। इसमें परखा जाएगा कि शिक्षक अंग्रेजी धारा प्रवाह बोल पाता है कि नहीं। साथ ही उनकी ब्रिटीश काउंसिल की ओर से चार साल तक ट्रेनिंग भी होगी।
नहीं की गई शिक्षकों की भर्ती
प्रदेश में अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने का प्लान तो तैयार हो गया, लेकिन न तो इंफ्रास्ट्रक्चर और न ही शिक्षकों की भर्ती पर ध्यान दिया गया। हालांकि पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पांच स्कूल खोले गए। टीटी नगर स्थित सम्राट मिडिल स्कूल को चुना गया। जहां पर स्कूल परिसर में ही एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल की शुरुआत की गई। लेकिन शिक्षकों की कमी के कारण अब इन स्कूलों में भी यह प्रयोग सफल नहीं लग रहा है।
सरकारी स्कूलों में घटे बच्चे
प्रदेश में लगातार निजी स्कूलों की तर्ज पर अंग्रेजी माध्यम स्कूल की मांग की जा रही है। पिछले कुछ सालों में साल-दर-साल लगभग 3 से 4 लाख से अधिक नामांकन दर में गिरावट आई है। इसके बाद स्कूल शिक्षा विभाग हरकत में आया। अगे उम्मीद की जा रही है कि अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खुलने से सरकारी स्कूलों में नामांकन दर बढ़ेगा।
30 हजार शिक्षकों के पद खाली
प्रदेश में 1 लाख 42 हजार 512 प्राथमिक व माध्यमिक सरकारी स्कूल हैं। इनमें 30 हजार शिक्षकों के पद खाली हैं, जबकि 2 लाख 86 हजार शिक्षक तो हैं, लेकिन वे शिक्षण कार्य छोड़कर अन्य विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इससे सरकारी स्कूलों में शिक्षक पढ़ाने ही नहीं आते।
प्रयोग सफल नहीं हुआ
हर ब्लॉक में 5 स्कूल अंग्रेजी माध्यम के खोले जाने थे। कुछ जगहों पर खोले भी गए, लेकिन अंग्रेजी के शिक्षक नहीं मिलने के कारण यह प्रयोग सफल नहीं हुआ। अब फिर से अंग्रेजी शिक्षकों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू हो रहा है - दीपक जोशी, स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री
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