
पूरे प्रदेश में एक समस्या
- निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर पूरे प्रदेश के अभिभावक परेशान रहते हैं।
- स्कूल संचालक हर साल ड्रेस में कुछ ना कुछ बदलाव कर देते हैं।
- कभी फीस के नाम पर अभिभावकों को स्कूल संचालक परेशान करते हैं।
- स्कूल ड्रेस या कॉपी-किताब एक ही दुकान से खरीदने का दबाव रहता है।
हर सत्र में एक सी समस्या
- इस तरह की शिकायतें हर शिक्षण सत्र में आती हैं।
- प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए ही अधिनियम बना है और अब नियम भी बन जाएंगे।
- इसके लिए पिछले छह साल से विभाग प्रयास कर रहा था।
- नए अधिनियम के तहत बने नियम शैक्षणिक सत्र 2018-19 से लागू होंगे।
प्राइवेट स्कूलों के लिए ये भी है नए अधिनियम में
- पोर्टल पर फीस की संरचना प्रस्तुत नहीं करने पर लेट फीस के साथ 135 दिन में जानकारी देनी होगी।
- जो स्कूल लाभ 10 फीसदी से कम बताकर फीस बढ़ाएंगे, जांच के लिए उनके दस्तावेज जब्त हो सकेंगे।
- 10 फीसदी की वृद्धि तभी मंजूर होगी जब कोई शिकायत नहीं होगी, अंतिम निर्णय डीईओ लेंगे।
- 10 से 15 फीसदी वृद्धि प्रस्तावित होने पर फीस वृद्धि पर निर्णय 45 दिन मे जिलास्तरीय समिति लेगी।
- प्राइवेट स्कूल फीस की डिटेल वेबसाइट पर नहीं डालते पर उन्हें हिंदी-अंग्रेजी में यह बताना होगा।
- कोई भी स्कूल छूट के नाम पर एक तिमाही से ज्यादा फीस एक साथ नहीं ले सकेगा।
- स्कूल का नाम केवल ड्रेस पर होगा, एक दुकान से ड्रेस, स्टेशनरी खरीदने को विवश नहीं करेंगे।
- किताबों की बिक्री के लिए स्कूल परिसर में सरकारी प्रकाशकों की छोटी दुकानें खुल सकेंगी।
- जिला स्तर की समिति किसी भी स्कूल में जांच के लिए प्रवेश कर सकेगी।
- मनमानी करने पर पहली बार दो लाख, दूसरी बार चार लाख तथा तीसरी बार छह लाख जुर्माना।
- जुर्माना न देने पर इसकी वसूली राजस्व अधिकारियों की मदद से कुर्की और नीलामी के माध्यम से।
- ऑडिट होने या फिर शिकायत की जांच पूरी होने (अधिकतम 7 साल) तक रिकॉर्ड रखना होगा।
- स्कूल की शिकायत पालक-छात्र ही कर सकेंगे, अखबार में छपी खबर भी अफसर संज्ञान में लेंगे।
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