भोपाल। हाल ही में कोलारस विधानसभा के उपचुनाव सम्पन्न हुए हैं। इस चुनाव जीत कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र यादव की हुई परंतु सब जानते हैं कि वोट ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर दिए गए। यह मुकाबला सीएम शिवराज सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच था परंतु भाजपा की ओर से देवेन्द्र जैन को प्रत्याशी घोषित करते ही चुनाव देवेन्द्र जैन और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच हो गया। लोग महेंद्र यादव को पसंद नहीं करते थे, परंतु देवेन्द्र जैन को कतई पसंद नहीं कर पा रहे थे। सिंधिया की कृपा से महेन्द्र चुनाव तो जीत गए लेकिन चुनाव के बाद भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं। 2018 के चुनाव सिर पर हैं और महेंद्र यादव अपने व्यक्तिगत कामधंधों में व्यस्त हैं। शायद इसीलिए जूनियर सिंधिया इस इलाके में एक्टिव हो गए हैं। महा आर्यमन सिंधिया ने कोलारस में युवा संवाद कार्यक्रम को संबोधित किया।
यूं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने पिता माधवराव सिंधिया की सीट विरासत में मिली थी और महा आर्यमन को भी ज्योतिरादित्य सिंधिया का उत्तराधिकारी ही कहा जाता है परंतु यह सिंधिया राजपरिवार की परंपरा नहीं है। राजमाता सिंधिया ने लोकसभा चुनाव लड़कर केंद्र की राजनीति की शुरूआत की थी। माधवराव सिंधिया भी केंद्र की ही राजनीति करते रहे परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया मप्र का सीएम बनना चाहते हैं। इसके लिए उन्हे भी विधानसभा चुनाव लड़ना होगा। सिंधिया राजवंश के युवराज महा आर्यमन अब 23 साल के हो गए हैं। उन्हे चुनाव लड़ाया जा सकता है।
तमाम सवालों के सरल जवाब केवल यह हैं कि यदि कोलारस में ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही गांव-गांव जाकर वोट मांगना है तो महेंद्र यादव क्यों, महा आर्यमन क्यों नहीं। वैसे भी सिंधिया के कहने पर केवल एक बार के लिए महेंद्र यादव को वोट मिले हैं, यदि भाजपा ने 2018 में महेंद्र यादव के सामने देवेन्द्र जैन के अलावा कोई भी दूसरा प्रत्याशी उतार दिया तो सिंधिया भी यादव को जिता पाएं, कहा नहीं जा सकता और फिर 2018 का चुनाव मप्र की राजनीति में चिरंजीवों को ही चुनाव होगा। बहुत सारे नेतापुत्र इस बार कतार में हैं।
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