जबलपुर। रविवार को यहां एक बड़ा घटनाक्रम हुआ। मप्र के दिग्गज आदिवासी नेता माने जाने वाले सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रीमंडल से बेदखल कर दिया था अब आदिवासी समाज ने उन्हे समाज से बहिष्कृत करने का ऐलान कर दिया। आदिवासियों ने पहले एक रैली निकाली और सांसद कुलस्ते का पुतला फूंका फिर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम सांसद कुलस्ते को समाज से बेदखल करने का ऐलान कर दिया। इधर सांसद कुलस्ते का कहना है कि संविधान ने इस तरह का अधिकार किसी को नहीं दिया। उन्हे आदिवासी समाज से कोई भी बाहर नहीं कर सकता।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और मंडला जिले से सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को पूरे भारत में समाज से बहिष्कृत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि फग्गन सिंह कुलस्ते रानी दुर्गावती के वंशज हैं और जो भी अपने पूर्वजों का सम्मान नहीं करेगा, समाज उनका सम्मान नहीं करेगा। इधर आदिवासियों की हड़ताल के मद्देनज़र जिला प्रशासन ने यहां भारी पुलिस-बल तैनात किया। आदिवासी समाज ने इस अवसर पर एक रैली निकालकर फग्गन सिंह कुलस्ते का पुतला भी फूंका। मरकाम ने एलान किया कि पूरे प्रदेश में पूर्व केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते के साथ समाज रोटी का संबंध नहीं रखेगा। इसका अर्थ हुआ कि सामाजिक कार्यक्रमों में सांसद कुलस्ते को आमंत्रित नहीं किया जाएगा और सांसद कुलस्ते के यहां होने वाले कार्यक्रमों में समाज का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं होगा।
गुलौआ ताल में रानी दुर्गावती की प्रतिमा हेतु भूमिपूजन
रविवार को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हीरा सिंह मरकाम ने गुलौआ ताल के बीचोंबीच एक टापू पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित करने के लिए भूमिपूजन कर दिया। हीरा सिंह मरकाम ने कहा कि जबलपुर 52 ताल के नाम से जाना जाता था। रानी दुर्गावती ने अपने जीवनकाल में शहर में 52 ताल का निर्माण कराया था, जिसमे गुलौआ ताल भी शामिल था। इस ताल में रानी दुर्गावती की प्रतिमा को स्थापित किया जाना था, लेकिन जिला सरकार ने श्यामाप्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा को स्थापित कर दिया, जिस कारण से आदिवासी समाज को आघात लगा है। मरकाम ने कहा कि एक-एक रुपए जोड़कर आदिवासी समाज रानी दुर्गावती की प्रतिमा को अगले वर्ष बलिदान दिवस पर स्थापित करेगा। इसके लिए गोंडवाना पार्टी वादा नहीं वचन देती है कि वो आदिवासी समाज की धरोधर को बचाने के लिए कार्य करेगी।
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