
अपनी याचिका में राजेश पटेल कहा था कि प्रदेश के 51 जिलों के तहसीलदार और नायब तहसीलदार 11 जून से सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल कर रहे हैं। इनकी हड़ताल की वजह से राज्य सरकार के सभी कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इन लोगों के पास राजस्व न्यायालय, लोकसेवा गारंटी, सीएम हेल्पलाइन, किसानों के रजिस्ट्रेशन सहित अन्य दायित्व हैं।
साथ ही सभी के इस तरह हड़ताल करने से मध्यप्रदेश सिविल सर्विस रूल्स 1977 की अवहेलना भी की जा रही है। याचिका में पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए हड़ताल को अवैधानिक करार देने की मांग की गई थी। जिस पर हाईकोर्ट में जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस एसके गंगेले की युगलपीठ ने सुनवाई करते हुये इस हड़ताल को अवैधानिक बताते हुये सभी को तत्काल काम पर लौटने के निर्देश दिये हैं।
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