जबलपुर। सतना में 24 जून को बटोही के जंगलों से सर्चिंग करने गई एक पेट्रोलिंग पार्टी में से एसएएफ का एक जवान सचिन शर्मा लापता हो गया था। 2 दिन बाद जंगल में ही उसकी लाश मिली थी। सचिन की मौत पानी न मिलने के कारण प्यास की वजह से होना बताया गया था। मृतक के साथी जवानों ने उसे जंगल में ही छोड़ बुजदिली का परिचय दिया था। ऐसे में सतना पुलिस की काफी छीछालेदर हुई। अब इस मामले में जांच शुरु हुई तो प्रथम दृष्टया मृतक का साथ गए अन्य सात पुलिस जवानों को सतना पुलिस अधीक्षक ने निलंबित किया है। वहीं एसएएस के कमान्डेंट ने भी कार्यवाही करते हुए अपने तीन जवानों को निलंबन का आदेश पकड़ाया है।
चित्रकूट के तराई अंचल में साढ़े पांच लाख का इनामी डकैत बबली की टोह लेने 24 जून को फोर्स बटोही के जंगल मे उतरी थी। सर्चिंग के दौरान टीम के सदस्य सचिन शर्मा की हालत बिगड़ी जिसे अन्य साथी जवानों ने मदद नहीं की। वह जंगल में उसे अकेला छोड़ उसकी राइफल लेकर वापस लौट आ गए। 48 घंटे के बाद जवान की लाश जंगल में मिली। इस मामले में पुलिस पर दाग लगा तो जांच पड़ताल शुरू हुई। ऐसे में अब सतना पुलिस अधीक्षक ने सतना पुलिस के सर्चिंग में गए सात जवानों को निलंबित किया है।
पुलिस अधीक्षक ने मृतक को मुसीबत में साथ छोड़ने के आरोप में उप निरिक्षक बालकेश सिंह, सहायक उप निरीक्षक कप्तान सिंह, सहायक उप निरीक्षक आरके पांडेय, प्रधान आरक्षक योगेश मिश्रा, आरक्षण रणविजय सिंह ईष्ट देव और विवेक सिंह को निलंबित कर दिया है। वहीं दूसरी ओर 14वीं एसएएफ बटालियन के कमाडेंट ने भी कार्यवाही करते हुए एसएएफ के एपीसी रामलाल कोल व सर्वेश शर्मा और आरक्षक अशोक सिंह को निलंबित किया है। इस तरह अब तक इस मामले में दस जवानों पर कार्यवाही हुई है, जिन्होंने बुजदिली का परिचय दिया और अपने साथी को ही मुसीबत में छोड़ भाग खड़े हुए। इस मामले में प्रदेश पुलिस मुख्यालय से भी जांच के आदेश हुए हैं।
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