शिवराज सरकार ने जूते-चप्पल की क्वालिटी जांच कराई, गेंहू-चावल की नहीं कराती

Bhopal Samachar
उपदेश अवस्थी/आनंद ताम्रकार/बालाघाट। जिले में 60 तेंदूपत्ता संग्राहक समिति के 71206 परिवारों में 1 लाख 914 संग्राहक तेंदूपत्ता संग्रह में लगे हुये है। आगामी 3 जून को सीएम शिवराज सिंह चौहान इन्हे बोनस वितरित करने आ रहे हैं। इसी के साथ ही तेंदूपत्ता तुड़ाई में लगे श्रमिकों को जूता, चप्पल, पानी की बोतल एवं साड़ियों का वितरण करेंगे। जूते-चप्पल, बॉटल और साड़ियां ब्रांडेड कंपनियों से खरीदी गईं हैं जिनकी गारंटी होती है। चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार ने इसकी डिलेवरी से पहले और डिलेवरी के बाद क्वालिटी की जांच कराई है। इसके लिए मोटी फीस भी चुकाई है और मुद्दे की बात यह है कि यह वही शिवराज सिंह सरकार है जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली में गरीबों को वितरित किए जाने वाले अन्न (गेंहू-चावल) की जांच नहीं कराती। 

कहां से खरीदा सामान, कीमत कितनी है

अधिकारिक जानकारी के अनुसार 70 हजार 950 जोडी जूते, चप्पल 70 हजार 237 और 7 हजार 337 साड़ियां, 1 लाख 41 हजार 187 पानी की बोतल वितरित की जानी है। जूते की जोडी 194.46 रूपये, चप्पल 130.62 रूपये, पानी की बोतल 190 रूपये तथा साड़ी 268 रूपये में खरीदी गई है। लघु उद्योग के माध्यम से मेसर्स लिबर्टी शूज करनाल हरियाणा से जूते और चप्पल तथा पानी की बोतल सेलो इंडस्टीज मुंबई तथा साडियां दुर्गा प्रोसेसर प्रा.लि. सूरत गुजरात से खरीदी गई है।

डिलेवरी से पहले और डिलेवरी के बाद क्वालिटी की जांच कराई गई

वितरित की जाने वाली पानी की बोतल तथा जूते-चप्पल की गुणवत्ता का प्री डिलेवरी निरीक्षण एवं पोस्ट डिलेवरी परीक्षण करवाया गया। जूते और चप्पल फुटवेयर डिजाइन एण्ड डेव्पलमेंट इस्टीटूयट नोयडा उप्र तथा पानी की बोतल सेंटल इस्टीट्यूट आॅफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग भोपाल तथा साडियां टेक्स टाइल्स मुबई से करवाया गया है। सामग्रियों के परीक्षण में बड़ी धनराशि खर्च की गई है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली में कोई जांच नहीं होती

आपत्ति इस बात से कतई नहीं है कि शिवराज सरकार ने गरीब मजदूरों को वितरित किए जाने वाले गारंटीड ब्रांडेड जूते-चप्पल, बॉटल और साड़ियों का क्वालिटी टेस्ट क्यों कराया। मुद्दे की बात तो यह है कि यह इन्हीं गरीबों को सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत वितरित होने वाले गेंहू-चावल की प्री डिलेवरी और पोस्ट डिलेवरी क्वालिटी टेस्ट क्यों नहीं कराती। राशन की दुकान में जब गेंहू के साथ मिट्टी और चावल के साथ सड़ा हुआ दाना मिलकर आता है तो उनकी शिकायतों पर ध्यान क्यों नहीं देती। 
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