भोपाल। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के लिए खरीदी गई 30 लाख रुपए की लक्झरी SUV CAR का मामला अब विवादित हो गया है। इस कार का पेमेंट किसान सड़क निधि योजना से किया गया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि शिवराज सिंह की कार के लिए VIP NUMBER लिया गया। यह काम ऐजेंट से कराया गया और 32 हजार रुपए का भुगतान किया गया। सवाल यह है कि वीआईपी सुरक्षा के बीच चलने वाली इस कार को वीआईपी नंबर की जरूरत ही क्या थी, कोई सामान्य नंबर होता तो क्या लोग शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री मानने से इंकार कर देते। और दूसरा बड़ा सवाल यह कि क्या सरकारी कार को वीआईपी नंबर दिलाने के लिए भी आरटीओ ऐजेंट की जरूरत होती है।
सड़क निधि का पैसा किसानों का कैसे हुआ
बता दें किसान सड़क निधि का फंड मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड द्वारा अनुरक्षित किया जाता है। जिसे आमतौर पर मंडी बोर्ड भी कहा जाता है। यह वो पैसा है जो किसान और फसल के खरीददार से टैक्स के रूप में वसूला जाता है और मंडी में आने वाले किसानों की सुविधाओं के लिए खर्च किया जाता है। गांव से मंडी तक की सड़क बनाने के लिए सड़क निधि का पैसा खर्च किया जाता है।
किसान तड़प रहे थे, सीएम CAR खरीद रहे थे
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब राज्य में किसान आत्महत्या कर रहे थे तब वहां के मुख्यमंत्री के लिए 30 लाख रुपये की फॉर्च्यूनर कार खरीदी गई। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि वह किसान सड़क निधी की सशक्त समिति के सह-अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि यह गाड़ी 6 जून 2017 को मंदसौर में हुए किसान गोलीकांड से महज एक महीने पहले ही खरीदी गई थी। उस वक्त गोलीकांड में करीब 5 किसानों की मौत हुई थी।
मंडी बोर्ड ने माना CAR खरीदी गई है
मंडी बोर्ड के प्रबंध निदेशक फैज अहमद किदवई ने इस बात की पुष्टि की है कि एसयूवी गाड़ी मुख्यमंत्री के आधिकारिक इस्तेमाल के लिए ही खरीदी गई थी। उन्होंने कहा कि वह इस बात की जांच करेंगे कि गाड़ी किस योजना के फंड से खरीदी गई। मामले पर राज्य सरकार के प्रवक्ता और संसदीय कार्य व जनसंपर्क मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।
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