
दुबे का कहना है कि प्रदेश में प्राचार्य से लेकर सहायक शिक्षक तक लगभग 1 लाख 10 हजार नियमित शिक्षक कार्यरत है। बावजूद इसके प्रशासन पुराने शिक्षकों के लंबित मुद्दों प्रति कभी गंभीर नही रहा है। दुबे ने आरोप लगाया कि शासन के उपेक्षित रवैये के कारण पिछले 2 वर्षो से पदनाम परिवर्तन की फाइल लंबित है। इस अवधि में 3 बार घोषणाएं हुई जिसमें 5 सितम्बर 2016 शिक्षामंत्री विजयशाह द्वारा, 10 अप्रेल 17 शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी द्वारा, तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री शिवराज सिंह चौहान जी ने 23 दिसम्बर 2017 को नसरुल्लागंज में शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन संबंधी आदेश शीघ्र जारी करने की घोषणा की थी। लेकिन विभाग के आला अधिकारियों के नकारात्मक रवैए के चलते शिक्षको के पदनाम परिवर्तन (पद अपग्रेडेशन) के आदेश आज दिनांक तक जारी नही हुए। जबकि मुख्यमंत्री जी द्वारा अपनी घोषणा में जनवरी 2018 इसकी समय सीमा निर्धारित की थी।
समय सीमा में पद अपग्रेड न होने से इस अवधि में 28-40 साल से बिना पदोन्नति के एक ही पद पर अपनी सेवा देनेवाले, पदनाम/पदोन्नति की आस लिए 10 हजार से अधिक शिक्षक सेवा निवृत्त हो चुके है। वही दूसरी ओर उच्च शिक्षा विभाग इसी प्रकार के पदनाम परिवर्तन के मामले में बिना घोषणा, बिना ज्ञापन, बिना संघर्ष, बिना कैबीनेट की अनुशंसा के सैकड़ो सहा प्राध्यापकों के पद 1 जनवरी 2007 वरिष्ठता से प्रदान कर चुपचाप अपग्रेड कर दिए गए। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षको के पदनाम परिवर्तन की फाइल विभागीय स्वीकृति और कोई वित्तीय भार न होने के वावजूद वित्त विभाग में धूल खा रही है।
संघ ने अधिकारियों की नकारात्मक रवैये की शिकायत मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री से भी कर चुके है, लेकिन इसका कोई हल नही निकला। संघ ने चेतावनी दी है कि यदि 10 जुलाई 2018 तक पदनाम के मसले का हल नही निकलता है प्रदेश भर के हजारों शिक्षक भोपाल की सड़कों पर उतरकर जेल भरो आंदोलन शुरू करने मजबूर होंगे। जिसकी पूरी जबावदारी प्रशासन की होगी।
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