ये बिना सरकारी मदद के शुरू किए गए स्टार्टअप की कहानी है। ये किसी चमत्कार से कम नहीं है। 11 साल की उम्र में जब बच्चे अपने पापा से बड़ी साइकिल की डिमांड करते हैं, तिलक अपनी कंपनी प्लान कर रहा था। 13 साल की उम्र में वो मुंबई में 'पेपर एंड पार्सल' कंपनी का मालिक है। तिलक मेहता का जादू आप इतने भर से समझ जाएंगे कि उसके प्रोजेक्ट को सुनकर एक बैंकर नौकरी छोड़कर उसके साथ काम करने को तैयार हो गया। घनश्याम पारेख अब तिलक की कंपनी में बतौर सीईओ काम करते हैं। तिलक ने अगले 2 साल में 100 करोड़ रुपए की आमदनी कमाने का टारगेट सेट किया है। तिलक की कंपनी मुंबई में छोटे पार्सलों की डिलीवरी करती है।
ऐसे आया STARTUP IDEA
13 साल के तिलक बताते हैं, 'पिछले साल मुझे शहर के दूसरे छोर से कुछ किताबों की तत्काल जरूरत थी। पिता काम से थके हुए आये इसलिए मैं उनसे अपने काम के लिए कह नहीं सका और कोई दूसरा ऐसा नहीं था जिसे कहा जा सकता था। इसी आइ़़डिया को बिजनेस बनाकर कंपनी खड़ी हुई। अपनी कंपनी के लिए तिलक ने घनश्याम पारेख को उनकी बैंक की नौकरी छोड़ने पर मजबूर किया और उन्हें अपनी कंपनी का सीईओ बनाया।
डब्बावालों को जरिया बनाया
तिलक ने ये आइडिया एक बैंकर को बताया और उन्हें जॉब छोड़ने के लिए मनाया। बिजनेस के लिए उन्होंने खाना बांटने वाले डिब्बेवालों की मदद ली, ताकि दूर तक सामान पहुंचाया जा सके। डब्बावाले एक पार्सल को पहुंचाने के लिए 40 से 180 रुपये तक लेते हैं।
अब 100 करोड़ की आमदनी का लक्ष्य
स्टार्टअप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी घनश्याम पारेख ने कहा कि कंपनी का लक्ष्य शहर के भीतर लॉजिस्टिक्स बाजार के 20 फीसदी हिस्से पर काबिज होना तथा 2020 तक 100 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल करना है।
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