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बच्ची को नशे की दवाइयां देकर करते थे बेहोश
आरोप है कि ये सभी लोग बच्ची को इंजेक्शन और नशे की दवाइयों को खाने-पीने की चीजों में मिलाकर बच्ची को बेहोश कर देते थे। आरोपियों ने बच्ची का दुष्कर्म करने के साथ उसकी विडियो रिकॉर्डिंग भी की थी। यौन उत्पीड़न का यह सिलसिला सात महीनों से ज्यादा वक्त तक चलता रहा।
मंगलवार को सभी 18 आरोपियों को महिला कोर्ट में रिमांड के लिए पेश किया गया था। इस पूरी प्रक्रिया की विडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई। इन लोगों के साथ पुलिस भी लगी थी, इसी दौरान लगभग 50 वकीलों ने आरोपियों को पीटना शुरू कर दिया। सामने आए विडियो में देखा जा सकता है कि सीढ़ी से उतर रहे आरोपियों पर वकीलों ने हमला कर दिया और उनको बुरी तरह पीटा। वकीलों ने आरोपियों को गिराकर लात-घूंसों से उन्हें कोर्ट परिसर के अंदर ही पीटा।
वकीलों को समझाते रहे जज और अन्य अधिकारी
मामला बढ़ने के बाद जज धर्मन, मद्रास हाई कोर्ट ऐडवोकेट्स असोसिएशन (एमएचएए) अध्यक्ष मोहनकृष्णन के साथ-साथ वकील कन्नदासन और पुलिस जॉइंट कमिश्नर अनबू और अडिशनल कमिश्नर जयराम ने काफी देर तक वकीलों को समझाने की कोशिश की कि आरोपियों को सुरक्षित जाने दिया जाए।
'कोई नहीं लड़ेगा इन आरोपियों का केस'
एमएचएए अध्यक्ष मोहनकृष्णन ने बताया, 'हमारे संगठन ने फैसला लिया है कि इन आरोपियों के लिए कोई केस नहीं लड़ेगा। अगर कोई कानूनी सहायता भी दी जाती है तो हम इसका विरोध करेंगे।'