नई दिल्ली। उत्तराखंड स्कूल शिक्षा विभाग प्रदेश के 18,000 स्कूलों में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) से पहले भोजन मंत्र का जाप कराने की तैयारी में है। इन स्कूलों में करीब 12 लाख बच्चे पढ़ते हैं जो मध्याह्न भोजन से पहले भोजन मंत्र का जाप करेंगे। इसके अलावा सभी स्कूलों में रसोई की दीवारों पर भी यह मंत्र लिखवाया जाएगा। यह मंत्र संस्कृत में होगा। बता दें कि जुलाई के पहले हफ्ते में शिक्षा विभाग की एक समीक्षा बैठक हुई थी। इस बैठक में उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और अन्य पदाधिकारियों ने यह सुझाव दिया था कि स्कूलों में रोजाना मध्याह्न भोजन से पहले भोजन मंत्र का जाप कराया जाए। शिक्षा विभाग के निदेशक आरके कुंवर ने बताया कि शिक्षा मंत्री और अन्य कई पदाधिकारियों ने शिक्षा विभाग को ये सुझाव दिया था कि मध्याह्न भोजन से पहले स्कूलों में भोजन मंत्र का जाप अवश्य होना चाहिए। हम इस बाबत सभी स्कूलों में निर्देश भेजने की तैयारी कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हालांकि यह मंत्र स्कूलों की रसोईयों में भी लिखवाया जाए, यह अनिवार्य नहीं है। यह स्कूल प्रशासन और बच्चों पर निर्भर करता है कि वो दीवारों पर मंत्र लिखवाना चाहते हैं या नहीं। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि वह कौन सा मंत्र होगा जिसे भोजन मंत्र कहा जाएगा। उन्होंने कहा कि समीक्षा बैठक के दौरान कई फैसले लिए गए, जिसमें योग अभ्यास को भी दैनिक पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात कही गई। इसके अलावा बच्चों को देश के महान नेताओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही गायत्री मंत्र या सरस्वती वंदना से स्कूलों की शुरुआत की जाएगी। कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र के स्कूलों में कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा में प्रार्थना करने की भी बात कही गई है।
कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना
प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की स्थिति बेहद ही खराब है। ऐसे में स्कूलों में शिक्षा के स्तर को सुधारने की जरूरत है, न कि भाजपा सरकार द्वारा असल मुद्दे को भटकाकर स्कूलों में मंत्रों का जाप करना और स्कूलों में वंदे मातरम गाकर विवाद खड़ा करना।
भाजपा ने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं
कांग्रेस की बौखलाहट के जवाब में उत्तराखंड के भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट ने कहा कि देश के कई स्कूलों में दिन की शुरुआत सरस्वती वंदना से होती है। हालांकि भोजन मंत्र का जाप किसी भी स्कूल में नहीं है। यह एक बेहतरीन शुरुआत है। हम इसके जरिए बच्चों को अवगत कराना चाहते हैं कि हमारी परंपरा और संस्कृति क्या है। मुझे नहीं लगता कि इसमें कुछ गलत है या फिर कुछ भी आपत्तिजनक है।
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