भोपाल। मध्यप्रदेश शासन के गृह विभाग ने भाजपा के 2 निष्क्रीय नेता पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती को तो सरकारी आवास आवंटित कर दिए परंतु कांग्रेस के 2 सक्रिय दिग्गज दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को अब तक अटका कर रखा गया है। दोनों नेता मध्यप्रदेश में सक्रिय हैं एवं अपने आॅफिस के लिए सरकारी भवन चाहते हैं। बता दें कि कैलाश जोशी और उमा भारती को सीएम शिवराज सिंह के विशेष अधिकारों का उपयोग करके सरकारी बंगले दिए गए हैं।
कैलाश जोशी को क्यों दिया सरकारी बंगला
हाईकोर्ट ने सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली सरकारी सुविधाएं बंद कर दीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी को दिए गए सरकारी बंगले का आवंटन भी निरस्त कर दिया गया था परंतु उन्होंने कब्जा नहीं छोड़ा। सरकारी फाइलों में एक आवेदन दर्ज किया गया जिसमें कैलाश जोशी ने खुद को समाजसेवी बताया है। करीब 90 साल के कैलाश जोशी भाजपा में या समाज में कहीं सक्रिय नजर नहीं आते। ऐसे कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं परंतु उन्होंने खुद को स्वघोषित समाजसेवी बता दिया तो सरकार से मान लिया और आलीशान बंगला आवंटित कर दिया जबकि उनके पुत्र दीपक जोशी के पास भी एक सरकारी बंगला है।
उमा भारती की कहानी क्या है
मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का अब मध्यप्रदेश से केवल इतना रिश्ता है कि वो टीकमगढ़ जिले की निवासी एवं मतदाता हैं। मध्यप्रदेश भाजपा संगठन में उनके पास कोई पद नहीं है। वो मार्गदर्शक भी नहीं हैं। उत्तरप्रदेश की झांसी सीट से सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं। उत्तरप्रदेश सरकार की तरफ से उन्हे सरकारी आवास आवंटित है। दिल्ली में केंद्र सरकार ने भी उन्हे सरकारी आवास दिया है। इधर सीएम शिवराज सिंह ने अपनी विशेष शक्तियों का प्रयोग करके उन्हे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सरकारी बंगला आवंटित कर दिया। उमा भारती ने दलील दी है कि मैं भोपाल आती जाती रहतीं हूं इसलिए आवंटन किया जाए। सवाल यह है कि इस तरह आने जाने नेताओं के लिए जब सर्किट हाउस है तो सरकारी बंगले का आवंटन क्यों।
दिग्विजय सिंह को क्यों चाहिए सरकारी भवन
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह मध्यप्रदेश की राजनीति में हमेशा से सक्रिय रहे हैं। अब तो कांग्रेस ने उन्हे मध्यप्रदेश के लिए सभी केंद्रीय पदों से मुक्त कर दिया है। वो कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ सक्रिय नेता हैं और प्रभावशाली भी हैं। उनके सरकारी आवास से ही उनका आॅफिस भी संचालित होता रहा है। वो चाहते थे कि उनके कार्यालय के लिए आवंटन यथावत रखा जाए परंतु सीएम शिवराज सिंह ने उनके आवेदन पर राजनीतिक भेदभाव का वजन रख दिया।
सिंधिया ने क्यों मांगा भोपाल में सरकारी भवन
गुना सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भोपाल से कोई नियमित रिश्ता नहीं रहा। वो केवल एक सांसद हैं परंतु ईसीसी चेयरमैन बनाए जाने के बाद वो मध्यप्रदेश में तेजी से सक्रिय हुए हैं और अपना आॅफिस खोलने के लिए वो भी सरकारी भवन चाहते हैं। मध्यप्रदेश की राजनीति में सिंधिया, कैलाश जोशी और उमा भारती से ज्यादा सक्रिय हैं। परंतु उनका आवेदन भी लटकाकर रखा गया है।
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