भोपाल। मध्यप्रदेश में इस बार मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच नहीं होगा बल्कि दोनों दलों के प्रत्याशियों का अपने ही क्षेत्र के भितरघातियों से होगा। भाजपा की अंतर्कलह तो स्पष्ट हो चुकी है, उपचुनाव की तरह इस बार भी भाजपा का कार्यकर्ता ही कमल के फूल की पत्तियां तोड़ेगा अब कांग्रेस का नजारा भी साफ हो गया। 230 सीटों के लिए 3200 नेताओं ने दावा ठोक दिया है। सीएम सीट के लिए पहले से ही 4 नाम चल रहे हैं और 6 नेता बिल्ली के भाग्य पर भरोसा करके टकटकी लगाए बैठे हैं।
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीट हैं लेकिन इन पर चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस के 3200 नेताओं ने दावा ठोक दिया है। यानि गुणा-भाग किया जाए तो एक सीट से औसतन 13 दावेदार हैं। ये हाल तो जुलाई में है। टिकट वितरण का समय नज़दीक आते-आते घमासान तेज़ हो जाएगा और दावेदार तो अभी आना बाक़ी हैं।
हाईकमान ने उम्मीदवारों की स्क्रूटनी शुरू भी कर दी है। पीसीसी इस बार अगस्त के अंत तक प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने की तैयारी में है, ताकि उम्मीदवारों को पर्याप्त प्रचार का वक्त मिल सके। पहली सूची में वो 70 सीट होंगी, जहां से कांग्रेस लगातार पिछली तीन बार से चुनाव हार रही है।
टिकट वितरण के लिए पार्टी ने जो फॉर्मूला तैयार किया है, उसके मुताबिक दस शर्ते हैं। दस का दम भरने वाले की झोली में ही टिकट जाएगा लेकिन पहली शर्त यही रहेगी कि जिताऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। टिकट के दावेदार को नेशनल हेराल्ड की सदस्यता अनिवार्य रूप से लेना होगीं 2000 रुपए के ड्राफ्ट के साथ सदस्यता लेना अनिवार्य है।
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