भोपाल। 2014 के चुनावी भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी ने हर नागरिक के खाते में 15 लाख की बात कही थी। वो तो पूरी नहीं हुई लेकिन मध्यप्रदेश का प्रत्येक मतदाता करीब 36 हजार का कर्जदार जरूर हो गया। चुनाव तक लुभावनी योजनाएं दिखाई देंगी परंतु इसके बाद सरकार की सूरत बदल जाएगी। मप्र की जनता से 1.83 लाख करोड़ रुपए के कर्ज की ब्याज समेत वसूली की जाएगी। स्वभाविक है यह वसूली टैक्स बढ़ाकर और कोई नया टैक्स लगाकर की जाएगी। जैसे प्रतिलीटर पेट्रोल पर 4 रुपए अतिरिक्त चुकाने पड़ रहे हैं।
मध्यप्रदेश में कर्मचारियों को वेतन देने पैसे नहीं बचे
वित्त विभाग के सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश में वित्तीय संकट शुरू हो चुका है और यह गंभीर वित्तीय संकट की तरफ बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक सीएम शिवराज सिंह चौहान को अधिकारियों ने 21 जून को हुई मीटिंग इस स्थिति से अवगत करा दिया गया है। अधिकारियों ने सीएम शिवराज सिंह को स्पष्ट बता दिया है कि यदि तत्काल कुछ नहीं किया गया तो कर्मचारियों को वेतन भी नहीं दे पाएंगे।
शिवराज सिंह सरकार ने 47564 करोड़ ब्याज चुकाया
सिर्फ सप्लीमेंट्री बजट और अपने कुछ दूसरे महत्वपूर्ण काम करने के लिए बुलाए गए विधानसभा के मानसून सत्र में वित्तमंत्री जयंत मलैया ने 11,190 का सप्लीमेंट्री बजट पेश किया। सरकार ने अप्रैल, मई और जून में 4000 करोड़ का नया कर्जा ले लिया। बताया सीएम शिवराज सिंह फिर से 1000 करोड़ का कर्जा लेने का मन बना चुके हैं। बाजार में अब उन्हे सर्वाधिक दरों पर कर्ज दिया जा रहा है। मार्च 2018 में पेश की गई CAG रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश पर 31 मार्च 2018 की स्थिति में 1.83 लाख करोड़ का कर्ज था। यानी प्रत्येक मतदाता पर औसत 36000 रुपए का कर्ज है। सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि इस कर्ज के बदले में शिवराज सरकार 47564 करोड़ का ब्याज अदा कर चुकी हैं।
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