नई दिल्ली। कालाधन के खिलाफ नोटबंदी जैसा देशव्यापी अभियान चलाने वाली पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार अब चुनाव से पहले इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अटके 41 परसेंट मुकदमे वापस लेने की तैयारी कर रही है। ये सभी मामले टैक्स चोरी से जुड़े हैं। इतना ही नहीं मोदी सरकार ने अब यह भी तय किया है कि इनकम टैक्स विभाग छोटी छोटी रकम की वसूली के लिए मुकदमे नहीं ठोकेगा। ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमे दायर करने के लिए निचली लिमिट दोगुनी कर दी गई है।
वित्तमंत्री पीयूष गोयल के मुताबिक इन छोटे मामलों में मामूली रकम फंसी है लेकिन इससे टैक्स देने वाले और टैक्स विभाग का बहुत वक्त बर्बाद होता है जबकि हाथ कुछ नहीं आता। गोयल के मुताबिक ट्रिब्यूनल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जो टैक्स मुकदमें अटके हैं उन पर करीब 7.6 लाख करोड़ रुपए की रकम फंसी है। उस लिहाज से 41 परसेंट टैक्स मुकदमे वापस लेने से सिर्फ 6000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा।
वित्तमंत्री ने बताया कि अक्सर ये देखा गया है कि मुकदमे में वसूल की जाने वाली रकम से ज्यादा खर्च हो जाता है। इसलिए मुकदमेबाजी के झंझट से छुटकारा मिलने के साथ इनकम टैक्स विभाग का खर्च भी कम होगा। ट्रिब्यूनल में 20 लाख रुपए से कम, हाईकोर्ट में 50 लाख रुपए से कम और सुप्रीम कोर्ट में 1 करोड़ रुपए से कम के मामले में अपील नहीं करेगी। इसके पहले ट्रिब्यूनल में 10 लाख रुपए, हाईकोर्ट में 20 लाख और सुप्रीम कोर्ट में 25 लाख रुपए से ऊपर के मामले ही दायर किए जाते थे। वित्तमंत्रालय के इस फैसले के बाद इनकम टैक्स एपेलेट ट्रिब्यूनल में दायर 34 परसेंट मामले वापस ले लिए जाएंगे। इसी तरह हाईकोर्ट से 48 परसेंट और सुप्रीम कोर्ट से टैक्स से जुड़े 54 परसेंट मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे।
मुकदमे वापस लेने से नुकसान नहीं
वित्तमंत्री के मुताबिक टैक्स के 41 परसेंट मामले वापस लेने के बावजूद सिर्फ विवाद में फंसी रकम का नुकसान 1 परसेंट से भी कम होगा। जबकि 18 परसेंट इनडायरेक्ट टैक्स मुकदमे वापस लेने से विवादित रकम में 1.45 परसेंट रकम का ही नुकसान होगा। इसी तरह कस्टम से जुड़े 16 परसेंट मुकदमे ट्रिब्यूनल स्तर पर, हाईकोर्ट स्तर पर 22 परसेंट और सुप्रीम कोर्ट स्तर पर 21 परसेंट मुकदमे वापस ले लिए जाएंगे। गोयल को उम्मीद है कि इससे टैक्स विभाग के प्रति लोगों के मन में भरोसा बढ़ेगा और मुकदमे हटने से लोगो की परेशानी भी कम होगी।
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