सीएम शिवराज सिंह दंपत्ति सहित 6 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका | MP NEWS

भोपाल। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने सीएम शिवराज सिंह, उनकी पत्नी श्रीमती साधना सिंह, मंत्री राजेन्द्र शुक्ला, आईएएस एसके मिश्रा, तत्कालीन आरटीओ केएन थापक व तत्कालीन सरपंच  नित्यानंद पाठक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। यह याचिका डंपर कांड के संदर्भ में है। बता दें कि डंपर कांड में रीवा जिला न्यायालय एवं मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर से याचिकाएं खारिज हो चुकीं हैं। मिश्रा ने दावा किया है कि याचिकाओं को न्याय के विरुद्ध खारिज किया गया है अत: सुनवाई की जानी चाहिए। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह ने केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि का मामला दायर कर रखा है। बीते रोज इस मामले में सीएम ने बयान भी दर्ज कराए। 

याचिकाकर्ता केके मिश्रा ने इस याचिका में कहा है इस प्रकरण में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह, उनकी पत्नी श्रीमती साधनासिंह, मंत्री राजेन्द्र शुक्ल, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एस.के.मिश्रा, तत्कालीन आरटीओ के.एन. थापक व तत्कालीन सरपंच नित्यानंद पाठक के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित कई आदेशों के प्रकाश में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम -1988 के तहत प्रकरण दर्ज करवाया जाए। याचिका में कहा गया है कि ज़िला न्यायालय, रीवा ने उनके द्वारा पिछले दिनों इस विषयक दायर परिवाद को CRPC की धारा -200 के तहत उनके स्वयं और अन्य गवाहों के बयान लिए बिना यह कह कर खारिज कर दिया था कि आरोपित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मंत्री राजेंद्र शुक्ल और वरिष्ठ आईएएस एस.के. मिश्रा लोकसेवक की श्रेणी में आते हैं। लिहाजा, इन्हें लेकर अभियोजन की स्वीकृति जरूरी है। 

श्री मिश्रा ने अनुसार जिला न्यायालय ने पारित अपने इस आदेश में आरोपित श्रीमती साधनासिंह, सेवानिवृत आरटीओ के.एन थापक तत्कालीन सरपंच नित्यानंद पांडे को लोकसेवक नहीं मानते हुए उनके विरुद्ध लोकायुक्त/ईओडब्ल्यू जैसी जांच एजेंसियों में जाने के लिए परिवादी को स्वतंत्र कर दिया था। मिश्रा का कहना है कि विधि सम्मत नियमों के आधार पर ऐसे प्रकरणों में न्यायालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद अभियोजन की स्वीकृति जरूरी होती है लेकिन जिला न्यायालय ने मिश्रा सहित अन्य गवाहों के बयान व संज्ञान लिए बगैर परिवाद खारिज कर दिया।

इस आदेश के बाद मिश्रा ने हाईकोर्ट में भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन की स्वीकृति को लेकर पारित विभिन्न आदेशों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये दृष्टांतों का उल्लेख करते हुए एक याचिका दायर की, जिसे उच्च न्यायालय ने भी ख़ारिज कर जिला न्यायालय द्वारा पारित आदेश को सही माना। 

केके मिश्रा ने शुक्रवार को दायर अपनी इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि.. क्या कोई ट्रायल कोर्ट याचिककर्ता व उनके गवाहों के धारा-200 में बयान लिए बग़ैर उसे ख़ारिज कर सकता है। प्रकरण को न्यायालय द्वारा संज्ञान में लिए बग़ैर याचिकाकर्ता से अभियोजन स्वीकृति माँगी जा सकती है ? श्रीमती साधना सिंह, के एन थापक व नित्यानंद पांडे जो लोकसेवक नहीं है उनके विरुद्ध ज़िला न्यायालय ने अपराध दर्ज करने के लिए संज्ञान क्यों नहीं लिया। मिश्रा की ओर से राज्यसभा सदस्य, व वरिष्ठ वकील विवेक तनखा तथा वरिष्ठ वकील वैभव श्रीवास्तव ने याचिका दायर की है।
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