
प्रशिक्षण के लिए प्रदेश के सात केंद्रों का चयन किया गया है। इनमें इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, सतना, शिवपुरी, टीकमगढ़ और विदिशा शामिल हैं। इन केंद्रों पर पुजारियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया गया है। ये दो दिवसीय प्रशिक्षण 15 जुलाई से शुरू होगा। प्राधिकरण ने प्रशिक्षण स्थल, पुजारियों के ठहरने आदि का इंतजाम करने की जिम्मेदारी संबंधित केंद्र के कलेक्टरों को सौंपी है।
प्रशिक्षक आचार्यों और पुजारियों को मिलेगी ये सुविधा
प्रशिक्षण देने वाले आचार्य और विद्वानों को आने-जाने का किराया और मानदेय दिया जाएगा। उनके ठहरने और भोजन का इंतजाम मुफ्त किया जाएगा।
पुजारियों को भी प्रशिक्षण केंद्र पर आने-जाने का किराया दिया जाएगा। उनके भी ठहरने और भोजन का इंतजाम निशुल्क किया जाएगा।
प्रशिक्षण के बाद पुजारियों को प्रमाण-पत्र दिया जाएगा, जिससे वे पूजा, अनुष्ठान और कर्मकांड के जानकार कहलाएंगे।
पुजारियों को यह सिखाया जाएगा
मंदिर में भगवान की प्रभात आरती, भोग आरती और शयन आरती कैसे की जाती है।
शिवरात्रि, नवरात्रि, रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी जैसे विशेष पर्व पर अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा किस तरह की जाती है। इसकी जानकारी भी पुजारियों को दी जाएगी।
इसके अलावा छोटे-मोटे अनुष्ठान जैसे दुर्गा सप्तशती पाठ, अभिषेक, भूमिपूजन, वास्तु पूजन, वाहन पूजन करना भी सिखाया जाएगा।
कुछ पुजारियों को पंचांग देखना नहीं आता इसलिए प्रशिक्षण में पंचांग देखना भी बताया जाएगा।
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