अध्यापकों को तंग करने वाला आदेश जारी ही क्यों किया | ADHYAPAK SAMACHAR

भोपाल। श्रीमती दीपाली रस्तोगी आईएएस एवं आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग ने दिनांक 12/4/2018 को एक आदेश जारी करके आदिवासी विकास विभाग की शालाओं से स्कूल शिक्षा विभाग की शालाओं में अंतरजिला/अंतरविभागीय संविलयन द्वारा स्थानांतरित हुये अध्यापकों की कार्यमुक्ति में रोक लगा दी थी। विभागीय मंत्री एवं प्रमुख सचिव के नरम रुख के बाद भी दीपाली अपने आदेश पर अड़ी रहीं थी। उनकी दलील थी कि इससे आदिवासी विकास विभाग की शालाओं में शिक्षकों की कमी हो जाएगी परंतु आरटीआई के बाद सामने आई जानकारी में खुलासा हुआ है कि कमिश्नर दीपाली रस्तोगी की दलील गलत थी। जिस कार्यमुक्ति पर उन्होंने रोक लगाई उससे आदिवासी विभाग की शालाओं में शिक्षकों की कमी नहीं बल्कि बढ़ोत्तरी होने वाली थी। बता दें कि ये वही महिला आईएएस हैं जो अक्सर ईमानदारी और देशहित की बातें करतीं हैं। 

राज्य अध्यापक संघ के मंडला जिलाध्यक्ष डीके सिंगोर ने बताया कि अध्यापकों ने ट्रायवल कमिश्नर को घेरने के लिए आयुक्त लोक शिक्षण में आरटीआई के जरिए अंतर निकाय संविलयन द्वारा ट्रायवल से एजुकेशन में जाने वाले और एजुकेशन से ट्रायवल में आने वाले अध्यापकों की संख्या भी निकलवा ली। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार ट्रायवल से एजुकेशन में जाने वाले अध्यापक 435 हैं जबकि एजुकेशन से ट्रायवल में 725 अध्यापक आ रहे हैं। हाईकोर्ट ने भी दीपाली रस्तोगी के आदेश पर स्टे जारी कर दिया है। 

DEEPALI RASTOGI IAS ने आदेश जारी क्यों किया

अब सवाल यह है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा की सबसे समझदार महिला अधिकारियों में से एक दीपाली रस्तोगी जिन्होंने कुछ दिनों पहले ही आईएएस अफसरों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए देश भर में चर्चित हुआ एक लेख लिखा था, इस तरह का आदेश जारी क्यों किया। सीधा सवाल है कि दीपाली रस्तोगी ने यह आदेश जारी क्यों किया। इसके पीछे मंशा क्या थी। क्या उन्होंने अध्ययन नहीं किया था कि तबादलों से उनके विभाग को फायदा होगा, 435 अध्यापक देकर 725 अध्यापक मिल जाएंगे या इसके पीछे भी वही कारण है जो दूसरे अक्सर हुआ करता है। क्या वो चाहतीं थीं कि सभी 435 और 725 अध्यापक एकजुट हो जाएं और उनके पास निवेदन करने आएं। या कुछ और, जैसा कि अक्सर तबादला उद्योग की परंपरा है। 
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