दो घंटे में पहुंचेंगे भोपाल से इंदौर, एक्सप्रेस-वे को ग्रीन सिग्नल

NEWS ROOM
BHOPAL: भोपाल-इंदौर के बीच प्रदेश का पहला एक्सप्रेस-वे बनाने के लिए परियोजना परीक्षण समिति की बुधवार को हरी झंडी मिल गई। मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई बैठक में सड़क विकास निगम को रूट का सर्वे करने को कहा गया है। निगम इसमें तय करेगा कि सड़क कहां-कहां से गुजरेगी। परियोजना में आने वाली निजी जमीन का अधिग्रहण सरकार करेगी और मुआवजा देगी। बाकी लागत केंद्र सरकार देगी। 

सूत्रों के मुताबिक बैठक में प्रमुख सचिव लोक निर्माण मोहम्मद सुलेमान, प्रबंध संचालक राज्य सड़क विकास निगम सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे। इस दौरान अधिकारियों ने परियोजना को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। केंद्र सरकार इस परियोजना को सैद्धांतिक सहमति इस शर्त के साथ दे चुकी है कि भूमि अधिग्रहण का काम राज्य को करना होगा।

इसमें जितनी भी राशि लगेगी वो भी राज्य को ही वहन करनी होगी। इसके मद्देनजर सरकार की पूरी कोशिश है कि परियोजना के लिए जिस रास्ते का चयन किया जाए वहां निजी भूमि कम से कम हो। सड़क विकास निगम ने एक्सप्रेस-वे का रूट तय करने के लिए फीडबैक इंफ्रा कंपनी का चयन कर लिया है। कोशिश यह है कि सितंबर तक सर्वे का काम पूरा हो जाए।

दो घंटे में पहुंचेंगे इंदौर
सूत्रों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे घुमावदार न होकर बिल्कुल सीधा होगा। इसमें बीच में किसी भी वाहन के लिए नो-एंट्री रहेगी। इसकी वजह से वाहन तेजी से चलेंगे और भोपाल से इंदौर दो घंटे में पहुंचा जा सकेगा। सड़क के दोनों ओर हरियाली विकसित की जाएगी। भोपाल के 11 मील, कोलार और भौंरी क्षेत्र को छूते हुए सड़क इंदौर एयरपोर्ट से जुड़ेगी।

बजट में रखे तीन हजार करोड़
सूत्रों का कहना है कि एक्सप्रेस-वे के लिए सरकार ने बजट में तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान रखा है। हालांकि इसमें भूमि अधिग्रहण में खर्च होने वाली राशि को छोड़कर राज्य सरकार के ऊपर वित्तीय भार नहीं आने वाला है।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!