नई दिल्ली। आखिरकार नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) में लम्बे समय से बगैर परीक्षा दिए पास किए जाने के खेल पर अब विराम लगने वाला है। इस गोरखधंधे पर सीबीआई की निगाहें टेढ़ी हो गई हैं। केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव व चीफ विजिलेंस ऑफिसर की शिकायत पर सीबीआई ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआई के पाले में मामला जाते ही पूरे एनआईओएस में हड़कंप मच गया है।
भले ही इस मामले को सीबीआई की मध्य प्रदेश, भोपाल ब्रांच के हवाले किया गया हो, लेकिन इससे नोएडा के सेक्टर-62 स्थित एनआईओएस के मुख्यालय में गहमा-गहमी का माहौल है।सीबीआई ने भ्रष्टाचार, धोखाधड़ी और षड्यंत्र रचने जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। सूत्रों की मानें तो मध्य प्रदेश के भोपाल, रतलाम, सीहोर, उमरिया, गुवाहाटी और नोएडा का जिक्र है। फिलहाल इसमें एनआईओएस के अज्ञात अधिकारियों और अन्य प्राइवेट लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, लेकिन बताया जा रहा है कि जैसे-जैसे मामले में खुलासे होंगे, उसी आधार पर इसमें संलिप्त अन्य लोगों के नाम भी शामिल कर लिए जाएंगे।दरअसल अप्रैल, 2017 में मध्य प्रदेश के तीन केंद्रों पर आयोजित की गई 10 और 12वीं की परीक्षा में उन छात्रों को भी पास कर दिया गया जिन्होंने परीक्षा दी ही नहीं थी।
जांच में यह भी पता चला है कि इस हेराफेरी में एनआईओएस के कुछ अधिकारी, छात्र और प्राइवेट लोग भी शामिल हैं। बताया गया कि एक बड़ी रकम गुवाहाटी स्थित एनआईओएस के एक कमर्चारी के खाते में भेजी गई थी। यह रकम दिल्ली स्थित एक व्यक्ति के खाते से भेजी गई।गौरतलब है कि शैक्षणिक सत्र 2016-17 में हजारों की संख्या में बिना पेपर दिए छात्र पास हुए थे। यह सब कोचिंग सेंटर और एनआईओएस के संलिप्त अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा था। ये वही कोचिंग सेंटर हैं जिनके गली-मोहल्ले में 9वीं पास सीधे 10वीं और 11वीं फेल 12वीं कक्षा पास करें का इश्तहार जगह-जगह चिपके रहते हैं। ये कोचिंग सेंटर ही पैसों के दम पर बिना परीक्षा दिए ही छात्रों को पास कराने का ठेका उठाते हैं और ओपन स्कूल के अधिकारियों की मदद से उन्हें पास करा देते हैं।
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