भोपाल। मध्यप्रदेश के पिछड़े, जातिवाद और छुआछूत के लिए बदनाम और खजुराहो के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध छतरपुर जिले की जमीन के नीचे 60 हजार करोड़ रुपए के हीरे होने का पता चला है। सरकार ने इस इलाके को बंदर हीरा खदान का नाम दिया है। सरकार इसे नीलाम करने की योजना बना रही है। यह जानकारी मध्य प्रदेश सरकार के खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने इंदौर में चौथे राष्ट्रीय खान और खनिज सम्मेलन में दी।
खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि हम अगले एक-दो महीने में बंदर हीरा खदान की नीलामी करेंगे. इस सिलसिले में औपचारिताएं पूरी की जा रही हैं। रियो टिंटो के बंदर हीरा खदान परियोजना से पिछले साल बाहर निकलने के बारे में पूछे जाने पर शुक्ल ने कहा कि खनन क्षेत्र की वैश्विक दिग्गज कंपनी ने यह परियोजना अपने ‘आंतरिक कारणों से’ खुद छोड़ी थी।
खनिज मंत्री राजेंद्र शुक्ल ने बताया कि खोज अभियान से बंदर खदान में करीब 60,000 करोड़ रुपये के हीरे दबे होने का पता चला है। इस खदान से बहुमूल्य रत्नों के खनन में कई कंपनियों ने रुचि दिखायी है। मंत्री ने बताया कि प्रदेश सरकार बंदर हीरा खदान के साथ अन्य खनिजों के 12 अन्य ब्लॉकों को भी नीलाम करने की योजना पर आगे बढ़ रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश सरकार ने रेत उत्खनन की नयी नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति के तहत रेत उत्खनन पर केंद्र सरकार की बनाई गयी मसौदा नीति के कुछ प्रावधानों को भी अपनाया गया है। ये प्रावधान रेत के अवैध उत्खनन और इस गौण खनिज के गैर कानूनी परिवहन पर रोक लगाने से जुड़े हैं।
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