चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने INDIAN BANK के अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने सिद्ध मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले एक छात्र का एजुकेशन लोन आवेदन इसलिए खारिज कर दिया था क्योंकि कॉलेज ने ‘निवर्तमान छात्रों को प्लेसमेंट रिकार्ड का ब्यौरा’ प्रस्तुत नहीं किया था। हाईकोर्ट ने इसे छात्रों के भविष्य से गंभीर खिलवाड़ बताया और जिम्मेदार अधिकारियों पर 1 लाख रुपए जुर्माना लगाने का निश्चय किया। बैंक ने विश्वास दिलाया कि वो शैक्षिक ऋण योजना, 2015 के निर्देशानुसार ऐजुकेशन लोन स्वीकृत करेगा तब हाईकोर्ट ने जुर्माना नहीं लगाया।
एस नवीन की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुये जस्टिस एस वैद्यनाथन ने माना कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि अरानी स्थित इंडियन बैंक की कमजोर दलीलों के कारण छात्र का भविष्य दांव पर लगा है। बैंक अधिकारियों को फटकार लगाते हुए जज ने कहा, ‘ऋण के आवेदन को ठुकराने वाले अधिकारियों पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया जाना चाहिए। हालांकि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये कि आगे से बैंक संशोधित आईबीए मॉडल शैक्षिक ऋण योजना, 2015 के संदर्भ में कार्य करेगा कोई जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है।
जज ने याचिकाकर्ता के शैक्षणिक ऋण आवेदन पर विचार करने के लिए दायित्व लेने के बाद बैंक पर 1 लाख रुपये जुर्माना नहीं लगाया। याचिकाकर्ता ने बताया कि 2014-15 में उसने राज्य बोर्ड परीक्षा में 1,017 अंक हासिल किया और उसने श्री साई राम सिद्ध मेडिकल कॉलेज एवं शोध संस्था में प्रारंभिक शुल्क का भुगतान करने के बाद दाखिला लिया। शेष शुल्क का भुगतान करने के लिए छात्र ने 2016 में एक बैंक में आवेदन दिया जिसे खारिज कर दिया गया था। बैंक ने कॉलेज से उसके निवर्तमान छात्रों को प्लेसमेंट रिकार्ड का ब्यौरा मांगा था जो उपलब्ध नहीं हुआ। इसी आधार पर एजुकेशन लोन नहीं दिया गया।
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