भोपाल। सरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाली ऐसी महिला टीचर्स को भी अब मैटरनिटी लीव का लाभ मिलेगा जो सरोगसी (किराए की कोख) के जरिए मां बनीं हैं। ऐसी महिला कर्मचारियों को 180 दिन का अवकाश मिलेगा। भारत सरकार ने विश्वविद्यालय व कॉलेज में टीचर्स अपॉइंटमेंट के मिनिमम क्वालिफिकेशन व अन्य एकेडमिक स्टॉफ के मानक तय कर यूजीसी रेगुलेशन-2018 जारी किया है। इसमें विभिन्न अवकाशों की श्रेणी में पहली बार सरोगेसी से मां बनने वाली महिलाओं को अवकाश देने का प्रावधान किया गया है।
हाईकोर्ट के फैसले पर जारी हुआ आदेश
इस मामले में केंद्रीय विद्यालय की एक टीचर ने दिल्ली हाईकोर्ट में रिट पिटिशन दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि वह सरोगेसी के जरिये जुड़वां बच्चों की मां बनी है। लेकिन, उसे मातृत्व अवकाश इसलिए नहीं दिया जा रहा है क्योंकि, उसने अपनी कोख से बच्चों को जन्म नहीं दिया है। इस मामले में कोर्ट ने 17 जुलाई 2015 को इस महिला टीचर को अवकाश देने का फैसला सुनाया था। कोर्ट के इस आदेश का पालन करने के लिए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 29 जनवरी 2018 को सभी विभागों को निर्देश जारी किए थे।
असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती साक्षात्कार से ही
कॉलेज व विश्वविद्यालयों में होने वाली असिस्टेंट प्रोफेसर की सीधी भर्ती साक्षात्कार के आधार पर ही होगी। वहीं साक्षात्कार के लिए उम्मीदवारों की मेरिट लिस्ट उनके एकेडमिक रिकाॅर्ड, रिसर्च पब्लिकेशन और टीचिंग एक्सपीरियंस के अलावा एमफिल, पीएचडी, नेट, स्लेट, नेट जेआरएफ आदि आधार पर बनेगी। लेकिन, अंतिम चयन सिर्फ साक्षात्कार के आधार पर होगा। अभी तक 50 अंक एकेडमिक परफार्मेंस, 30 अंक रिसर्च वर्क और 20 अंक साक्षात्कार के होते थे। जिसे हटा दिया गया है।
टीचर्स फ्रेंडली है कॅरियर एडवांस स्कीम
प्रांतीय शासकीय महाविद्यालयीन प्राध्यापक संघ के महासचिव डॉ. आनंद शर्मा ने बताया कि एकेडमिक परफार्मेंस इंडिकेटर (एपीआई) को लेकर चल रही कन्ट्रोवर्सी को दूर कर उसे टीचर्स फ्रेंडली बनाया गया है। वहीं संघ के द्वारा भेजे गए सुझाव को यूजीसी ने माना है। अब कॅरियर एडवांस स्कीम में एपीआई को खत्म कर ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दिया है। 8 हजार एकेडमिक ग्रेड पे (एजीपी) तक रिसर्च वर्क के अंक की जरूरत नहीं होगी।
ये भी प्रावधान
विश्व के टॉप 500 रैंक वाले विदेशी विवि या संस्थान से पीएचडी करने वाले उम्मीदवार सीधे असिस्टेंट प्राेफेसर के लिए आयोजित साक्षात्कार के लिए पात्र होंगे।
वरिष्ठ फैकल्टी मेंबर काे प्रिंसिपल की सिफारिश पर दो साल के लिए वाइस प्रिंसिपल का पदनाम दिया जाएगा।
शिक्षकों को कॉलेज व विश्वविद्यालय में अब न्यूनतम 7 के बजाय 5 घंटे ही रहना पड़ेगा।
अब पीएचडी डिग्रीधारियों के लिए एडवांस इंक्रीमेंट का लाभ मिल सकेगा।
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